सोयाबीन की 5 किस्मों की खेती से होगी खूब कमाई, होगी बंपर पैदावार

By betultalk.com

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Soyabean ki kheti :- मानसून की पहली बारिश के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई का सिलसिला शुरू हो जाएगा। ऐसे में कई किसान खरीफ सीजन में अपने खेतों में तिलहनी फसल सोयाबीन की बुवाई करेंगे। इसके लिए उन्हें उन्नत किस्म के बीजों की बुवाई करनी चाहिए और इसके साथ ही सोयाबीन की खेती को लेकर कुछ जरूरी बातों का भी ध्यान रखना चाहिए ताकि किसानों को सोयाबीन की अधिक पैदावार मिल सके। सोयाबीन बहुत ही उपयोगी फसल है। सोयाबीन का सिर्फ तेल ही नहीं निकाला जाता बल्कि इससे कई तरह की खाद्य सामग्री भी बनाई जाती है, जैसे सोया मिल्क, सोया पनीर, सोया बड़ी, सोया दही, सोया बड़ी, नमकीन आदि। इसकी बाजार में मांग भी काफी अच्छी है। ऐसे में कई किसान सोयाबीन की खेती करते हैं। किसान सोयाबीन की खेती से कैसे अधिक उत्पादन लें, किन बातों पर ध्यान दें, कौन सी किस्मों का चयन करें आदि की जानकारी हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से दे रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।

सोयाबीन की कौनसी हैं यह टॉप 5 किस्में (Soyabean ki kheti)

सोयाबीन की बहुत सी किस्में हैं जो बेहतर पैदावार देती हैं। इन किस्मों में जेएस-335, एमएससी 252, जेएस 9308, जेएस 2095, जेएस 2036 आदि ऐसी किस्में हैं जिनसे करीब 25 से 30 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। बता दें कि अलग-अलग राज्यों के लिए वहां के क्षेत्रों के अनुसार सायोबीन की किस्में (Varieties of soybean) अनुशंसित की गई है। ऐसे में किसान को सोयाबीन की बुवाई से पूर्व अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित सोयाबीन की किस्मों की जानकारी अपने जिले के कृषि विभाग से प्राप्त करनी चाहिए।

क्षेत्रवार सोयाबीन की उन्नत किस्में (Area wise improved varieties of soybean)

  • उत्तर मैदानी क्षेत्रों के लिए सोयाबीन की पीके 416, पीएस 564, पीएस 1024, पीएस 1042, पीएस 1241, पीएस 1347, डीएस 9814, डी एस. 9712, एस. एल. 295, एस.एल. 525 किस्में हैं जो अच्छी मानी जाती हैं। 
  • मध्य भारत क्षेत्रों के लिए सोयाबीन की एनआरसी 7, एआरसी 37, जेएस 80-21, समृद्धि एमएयूएस 81, जेएस 93-05, जेएस 95-60, जेएस. 335 किस्में अच्छी मानी जाती है।
  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लिए बिरसा सोयाबीन 1, प्रताप सोया, इंदिरा सोया, जेएस. 80-21 व एमएयूएस. 71 आदि अच्छी किस्में हैं।
  • उत्तर पहाड़ी क्षेत्रों के लिए सोयाबीन की शिलाजीत, पूसा 16, वी.एल. सोया 2, वी. एल. सोया 47, हरा सोया, पालम सोया, पंजाब, पीएस. 1241, पीएस. 1092, पीएस.1347, वीएसएस. 63 आदि किस्में अच्छी मानी गई हैं।

कैसे लें सोयाबीन की खेती से अधिक पैदावार (Soyabean ki kheti)

सोयाबीन से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए उन्नत किस्मों के अलावा बुवाई की तकनीक, खाद की मात्रा, सिंचाई आदि क्रियाओं का भी योगदान होता है। ऐसे उन्नत कृषि क्रियाओं का उपयोग करके आप सोयाबीन का बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोयाबीन की बुवाई का सही समय बारिश का सीजन होता है। ऐसे में किसान जून या जुलाई में बारिश होने पर इसकी बुवाई कर सकते हैं। सोयाबीन की बुवाई (Sowing of soybeans) तब करनी चाहिए जब क्षेत्र में 100 मिमी. बारिश हो चुकी हो। इससे कम बारिश होने पर सोयाबीन की बुवाई नहीं करनी चाहिए।

कैसे करें सोयाबीन की बुवाई (How to sow soybean)

सोयाबीन के बीजों की बुवाई करते समय खेत में पानी नहीं भरा होना चाहिए। यदि खेत में पानी भरा हो तो उसकी निकासी की व्यवस्था करें। सोयाबीन के बीजों की बुवाई करते समय पौधे से पौधे की दूरी कम से कम 5 से 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।

सोयाबीन में कब करें यूरिया का उपयोग (When to use urea in soybean)

कृषि जानकारों के मुताबिक सोयाबीन की खेती में दो से तीन बार थोड़ी मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल करना चाहिए। सोयाबीन की एक हैक्टेयर में बुवाई करते समय कम से कम 12 से 15 किलोग्राम तक यूरिया का छिड़काव खेत में किया जाना चाहिए। वहीं पौधे विकसित होने 25-30 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करना चाहिए। सोयाबीन के पौधे में फूल आने की अवस्था में 40-50 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करना चाहिए।

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