सर्वसुविधायुक्त स्टेडियम नहीं, जो है उसकी भी दुर्गति
BETUL NEWS / आमला :- इसे दुर्भाग्य ही कहेगे कि शहर के खिलाडिय़ों के पास प्रेक्टिस करने के लिए एक सर्वसुविधायुक्त स्टेडियम तक नहीं है। जो रेलवे का स्टेडियम है, वह भी दुर्दशा पर आंसू बहा है। यहां खिलाडियों के लिए न तो पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है और न ही सुविधाएं है। यहां तक कि दर्शकदीर्घा और उसके ऊपर डाली गई सीटे भी टूटी-फूटी है। मैदान भी खेल प्रेक्टिस करने के नजरिये से उपयुक्त नहीं है। यहीं वजह से खिलाडियों को प्रेक्टिस करने में परेशानियां होती है। दरअसल शहर की खेल प्रतिभाओं को अभ्यास करने के लिए कोई उचित खेल मैदान नहीं है। एकमात्र रेलवे का स्टेडियम है, तो वह भी अनदेखी का शिकार है। यहां सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ी प्रेक्टिस करते है। मैदान में पत्थर-कंकड की वजह से खिलाड़ी घायल भी हो जाते है। शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि शहर में कई ऐसी खेल प्रतिभाएं है, जिन्होंने आमला शहर का नाम जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया है, लेकिन उपयुक्त वातावरण के अभाव और खेल मैदान की कमी के कारण कई बच्चे अपनी प्रतिभा से वंचित हो रहे है। यदि बच्चों को उपयुक्त वातावरण, सहीं गाइडेंस और खेल अभ्यास के लिए सर्वसुविधायुक्त खेल मैदान उपलब्ध कराया जाये, तो आमला शहर से दर्जनों युवा और विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर क्षेत्र का नाम रोशन कर सकते है।
पर्याप्त जमीन, घोषणा भी हुई, लेकिन अमल नहीं …
शहर में तहसील के सामने की जमीन खाली पड़ी है। यहां सर्वसुविधायुक्त खेल मैदान बन सकता है। इसके लिए विधायक ने घोषणा भी की थी, लेकिन अमल नहीं हुआ। खिलाडियों का कहना है कि खेल मैदान के अभाव में खिलाडियों को तैयारी में दिक्कते होती है। दूसरी तरफ मॉर्निंग व इवनिंग वॉक करने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ता है, वे सडक पर वॉक करते है। इससे दुर्घटना की संभावनाएं बनी रहती है। रेलवे स्टेडियम या हवाई पट्टी पर क्रिकेट का अभ्यास करते है। यहां भी गाजर घास सहित अनेेक प्रकार का कचरा पड़ा रहता है। जिसके कारण खेल शुरू करने के पहले रोजाना मैदान को साफ करना पड़ा है।
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अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों पर अनदेखी का आरोप …
खिलाडियों का आरोप है कि रेलवे स्टेडियम को बेहतर बनाने अधिकारी ध्यान नहीं देते है। इधर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने भी कभी इस तरफ ध्यान नहीं दिया। युवाओं का कहना है कि वह भी स्टेडियम बनाने का आश्वासन मिला था, लेकिन आश्वासन ही रह गया। क्षेत्र में जो खेल मैदान है, उसकी स्थिति बहुत ही दयनीय है। दौडऩे के लिए न ही ट्रैक है न वर्कआउट करने के लिए कोई जगह। युवा सडक किनारे या हवाई पट्टी पर दौड़ते हैं और अन्य अभ्यासों के लिए खुद की जगह बनाते हैं। कुछ खिलाड़ी तो हवाई पट्टी पर दौडऩे, फुटबॉल, क्रिकेट जैसे खेलों का अभ्यास करने को मजबूर है, लेकिन यहां भी असामाजिक तत्वों का ढेरा रहता है। जिससे खिलाडियों को खेल अभ्यास के लिए उपयुक्त वातावरण नहीं मिल पाता है।