वैज्ञानिक भी पड़े फ़ैल बारिश और मौसम का हाल जानने का किसानों का पारंपरिक तरीका देख,आजकल टीवी और फोन पर मौसम की जानकारी आसानी से मिल जाती है. लेकिन पुराने ज़माने में किसान बारिश या मौसम का पता लगाने के लिए इन आधुनिक चीज़ों पर निर्भर नहीं करते थे. वो आसपास के जीवों और प्रकृति के संकेतों को देखकर ही समझ जाते थे कि बारिश कब होगी या गर्मी कब बढ़ेगी. खेती के लिए बारिश का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है. समय पर बारिश होने से फसल लहलहाती है और किसानों को अच्छा मुनाफा होता है. वहीं, बेमौसम बारिश फसलों को नुकसान पहुंचा सकती है.
इसलिए पारंपरिक किसान पक्षियों और चींटियों जैसे जीवों के व्यवहार को देखकर बारिश का अनुमान लगा लेते थे. उनके इस ज्ञान से खेती के काम को सही समय पर करने में मदद मिलती थी.
पक्षियों से बारिश का पता कैसे लगाते थे किसान?
आजकल कई युवा खेती कर रहे हैं. लेकिन मौसम की जानकारी को लेकर इन युवा किसानों में से बहुत कम लोगों को ही पुराने किसानों जैसा ज्ञान होता है. तो चलिए जानते हैं कि कैसे पहले के किसान पक्षियों को देखकर बारिश का पता लगा लेते थे.
- जब गौरैया चिड़िया मिट्टी में लोटने लगती थी, तो इसका मतलब होता था कि 24 घंटों के अंदर बारिश होने वाली है. इस संकेत को देखकर किसान खेती के काम को बारिश के हिसाब से तैयार कर लेते थे.
वैज्ञानिक भी पड़े फ़ैल बारिश और मौसम का हाल जानने का किसानों का पारंपरिक तरीका देख
चींटियों से बारिश का पता लगाना
पक्षियों की तरह ही चींटियों के व्यवहार से भी बारिश का अंदाजा लगाया जा सकता है.
- जब चींटियां अपने अंडों और बच्चों को लेकर किसी दूसरी जगह जाने लगती हैं, तो समझ जाएं कि जल्द ही बारिश होने वाली है. बारिश से अपने बच्चों को बचाने के लिए चींटियां उन्हें सुरक्षित जगह ले जाती हैं.
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गर्मी का पता लगाने का तरीका
बारिश की तरह ही गर्मी बढ़ने का भी अंदाजा किसान लगा लेते थे.
- पुराने किसानों का कहना है कि जब चील ऊंचाई पर बैठकर तेज आवाज निकालती है, तो इसका मतलब है कि गर्मी बढ़ने वाली है. ज्यादा गर्मी के कारण ही कभी-कभी बारिश भी हो सकती है.
इस तरह से प्राचीन काल में लोग न सिर्फ ग्रहों और नक्षत्रों का ज्ञान रखते थे, बल्कि चींटियों, पक्षियों, कौवों आदि को देखकर भी मौसम का पता लगा लेते थे.