Prayagraj Mahakumbh: प्रयागराज महाकुंभ के अमृत स्नान में पहली बार शामिल होंगे पूर्वोत्तर के संत

By betultalk.com

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प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में हर दिन देश और दुनिया के लाखों लोग आ रहे हैं। महाकुंभ के दौरान 13 अखाड़े अपने शिविर लगाते हैं, जिनमें साधु-संत और नागा साधु शामिल होते हैं। श्रद्धालु और साधु-संत त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं। महाकुंभ का शाही स्नान या अमृत स्नान प्रमुख आकर्षण का केंद्र होता है। इस बार महाकुंभ में पहली बार पूर्वोत्तर का शिविर लगाया गया है जिससे बड़ी संख्या में पूर्वोत्तर के श्रद्धालु महाकुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। अब आप सभी सोच रहे होंगे कि, यह पूर्वोत्तर क्या है ? तो आपको बता दे कि, पूर्वोत्तर के सुदूर क्षेत्रों से आए 20 से अधिक संत महात्मा बुधवार को मौनी अमावस्या पर अखाड़ों के साथ पहली बार अमृत स्नान करेंगे।इसी क्रम में मौनी अमावस्या के 22 दिन संत अखाड़ों के साथ स्नान करेंगे।महंत केशव दास जी महाराज ने बताया कि पूर्वोत्तर को कामाख्या देवी मंदिर के लिए जाना जाता है। मेले में कामाख्या मंदिर की प्रतिकृति पहली बार स्थापित हुई है। यहां कामाख्या का जल, गंगा जल मिलाकर भक्तों को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर में वैष्णव परंपरा अति प्राचीन है जो नामघर परंपरा से संचालित होती है। पहली बार यहां कुंभ में नामघर की स्थापना की गई है।

पूर्वोत्तर को कामाख्या देवी मंदिर के लिए जाना जाता

महंत केशव दास जी महाराज ने बताया कि पूर्वोत्तर को कामाख्या देवी मंदिर के लिए जाना जाता है। मेले में कामाख्या मंदिर की प्रतिकृति पहली बार स्थापित हुई है। यहां कामाख्या का जल, गंगा जल मिलाकर भक्तों को दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर में वैष्णव परंपरा अति प्राचीन है जो नामघर परंपरा से संचालित होती है। पहली बार यहां कुंभ में नामघर की स्थापना की गई है। जिस प्रकार उत्तर भारत में मंदिर होते हैं, उसी तरह, पूर्वोत्तर में नामघर होते हैं। यह परंपरा शंकरदेव जी द्वारा विकसित की गई। इस नामघर के लिए दीपक जलाने, कीर्तन आदि का एक विधान है और उसी विधान के साथ यहां नामघर की स्थापना हुई है। इसमें श्रीमंत शंकरदेव महापुरुष द्वारा रचित भागवत का अखंड पाठ होगा।

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पूर्वोत्‍तर में नामघर परंपरा

पूर्वोत्तर में वैष्णव परंपरा अति प्राचीन है जो नामघर परंपरा से संचालित होती है। पहली बार यहां कुंभ में नामघर की स्थापना की गई है। जिस प्रकार उत्तर भारत में मंदिर होते हैं, उसी तरह, पूर्वोत्तर में नामघर होते हैं। यह परंपरा शंकरदेव जी द्वारा विकसित की गई। इस नामघर के लिए दीपक जलाने, कीर्तन आदि का एक विधान है और उसी विधान के साथ यहां नामघर की स्थापना हुई है। इसमें श्रीमंत शंकरदेव महापुरुष द्वारा रचित भागवत का अखंड पाठ होगा।

अमृत स्नान 150 संत महाकुंभ क्षेत्र शामिल होंग

महामंडलेश्वर स्वामी केशवदास महाराज ने युवास्थान समाचार प्रतिनिधि से एक विशेष बातचीत में बताया कि कुंभ के इतिहास में पहली बार संगम में प्रवेश का अवसर मिला है। यह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी और केंद्र की मोदी सरकार का प्रयास संभव हो गया है। उन्होंने बताया कि शाही स्नान में असम, अरुणाचल, नागालैंड, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और गठबंधन के करीब 150 संत महाकुंभ क्षेत्र शामिल होंगे। इन संतों में अमृत स्नान को लेकर काफी उत्साह है। कुंभ के इतिहास में पहली बार इन राज्यों के विभिन्न धर्मस्थलों से जुड़े धर्म एवं साधु-संत संगम में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि महाकुंभ क्षेत्र के बजरंग दास मार्ग, सेक्टर-7 में सभी संतों की व्यवस्था की गई है। स्नान के दिन ये सभी संत अखाड़ों के साथ संगम में पहुँचे। उन्होंने कहा कि,जीवन की सार्थकता के लिए ‘एकनिष्ठ’ प्रेम होना चाहिए। भगवान को पाना ही असली मज़ा है। उन्होंने कहा कि गंगा मैया की कृपा सब पर बरसे, सब सुखी व पवित्र हों, विश्व में शांति हो, यही कामना है। बताया कि देवी की कृपा हाथ से नहीं, विविधता प्राप्त करके प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि साधना का मतलब ही ‘साधो’ है।

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