क्षेत्र में खेत सहित अन्य स्थानों पर मुर्गों की बलि देने की प्रथा
Betul Ki Taja Khabar/मुलताई। अखाड़ी पर्व के लिए इन दिनों बाजार में देसी मुर्गों की जमकर बिक्री हो रही है जिन्हे लोग खरीदकर ले जा रहे हैं। मुख्य मार्ग पर अंबेडकर चौक के पास मार्ग के दोनों ओर बड़ी संख्या में मुर्गे बेचने वालों ने दुकानें लगा कर रखी है जिसमें देसी मुर्गे बेचे जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्रतिवर्ष अखाड़ी पर्व पर खेतों सहित विभिन्न स्थानों पर ग्रामीणों के द्वारा मुर्गों की बलि दी जाती है जिसके लिए मुलताई, दुनावा, घाट पिपरिया में बड़ी संख्या में देसी मुर्गों की बिक्री होती है। इस वर्ष भी लगभग एक सप्ताह पूर्व से देसी मुर्गों की बिक्री प्रारंभ हो गई है जिसमें ग्रामीण लोग नगर से देसी मुर्गे खरीदकर ले जा रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार अच्छी बारिश तथा फसल के लिए देसी मुर्गों की बलि देने की परंपरा है इसलिए मुर्गे खरीदकर लाए जाते हैं। विगत कई वर्षों से मुलताई में मुख्य मार्ग पर देसी मुर्गों की अखाड़ी पर्व के पूर्व से ही बिक्री प्रारंभ हो जाती है। विशेष रूप से अखाड़ी पर्व के पहले साप्ताहिक बाजार के दिन यह बिक्री और भी बढ़ जाती है। देसी मुर्गे की बिक्री करने वाले विक्रेताओं ने बताया कि अखाड़ी पर्व के लिए विशेष रूप से बाहर से मुर्गे बिक्री के लिए लाए जाते हैं क्योंकि इस दौरान देसी मुर्गों की भारी मांग रहती है। अखाड़ी पर्व के बाद देसी मुर्गों की अपेक्षाकृत बिक्री कम हो जाती है।
Betul Samachar: नगर सहित क्षेत्र में लगी झड़ी, लगातार हो रही बारिश