एमपी शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर के मामले में सबसे खराब स्थिति वाले राज्यों में शुमार है। नवजातों और प्रसूताओं की मौतों को रोकने के लिए सरकार गर्भावस्था के दौरान जांच, उपचार और देखभाल पर विशेष जोर देती है। गर्भावस्था में सोनोग्राफी की जांच सबसे अहम है। एमपी के सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी जांच ही नहीं हो रही है।
मशीनें उपलब्ध लेकिन, डॉक्टर एक
उज्जैन जिला अस्पताल में तीन USG मशीनें है लेकिन सिर्फ एक डॉक्टर ही सोनोग्राफी कर रहे हैं। एक पीजीएमओ ट्रेंड होने के बावजूद सेवाएं नहीं दे रही हैं। उज्जैन जिले के बड़नगर, नागदा खाचरोद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से सिर्फ खाचरोद में मशीन है। लेकिन ट्रेनिंग के लिए डॉक्टर नॉमिनेटेड नहीं हैं। एक मशीन सीएमएचओ के स्टोर में है।
देवास जिले की सोनकच्छ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में USG मशीन है लेकिन डॉक्टर सोनोग्राफी नहीं कर रहीं। शाजापुर जिले के सुजालपुर सिविल अस्पताल में मशीन और डॉक्टर उपलब्ध होने के बावजूद सोनोग्राफी नहीं हो रही है।नीमच जिले की सिंगोली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सोनोग्राफी मशीन ही नहीं है।
भोपाल में मशीनें उपलब्ध लेकिन, डॉक्टर नहीं
भोपाल के जिला अस्पताल में तीन यूएसजी मशीनें होने के बावजूद सिर्फ एक रेडियोलॉजिस्ट है। बैरागढ़ सिविल अस्पताल में दो USG मशीनें है लेकिन प्राइवेट डॉक्टर से चार दिन सेवाएं लेनी पड़ रहीं हैं। कैलाश नाथ काटजू अस्पताल में तीन USG मशीनें हैं लेकिन डॉक्टर एक ही ट्रेंड हैं। काटजू अस्पताल रोजाना करीब 150 से 180 महिलाएं आतीं हैं। लेकिन, यहां सोनोग्राफी की सुविधा ही नहीं मिल पा रही है। सीहोर जिले की आस्था में सिर्फ एक प्राइवेट डॉक्टर से सोनोग्राफी करनी पड़ रही है।
इंदौर में प्राइवेट डॉक्टर बुलाकर करानी पड़ रही जांच
इंदौर के महू सिविल अस्पताल में दो मशीनें हैं लेकिन जिला अस्पताल से एक दिन के लिए डॉक्टर को बुलाना पड़ता है। देपालपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मशीन और डॉक्टर उपलब्ध होने के बावजूद सोनोग्राफी की सेवाएं नहीं मिल रही हैं। अर्बन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (UCHC) बाणगंगा में एक रेडियोलॉजिस्ट हैं और हफ्ते में 2 दिन सेवाएं देते हैं
भिंड जिले में प्राइवेट सेंटर्स से चल रहा काम
भिंड जिला अस्पताल में प्राइवेट डॉक्टर से सोनोग्राफी के लिए अनुबंध किया है। इसी तरह गोहद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी प्राइवेट सेंटर से सोनोग्राफी के लिए अनुबंध किया है। मुरैना जिले के अंबाह सिविल अस्पताल में डॉक्टर और मशीन उपलब्ध होने के बावजूद सोनोग्राफी नहीं हो पा रही है क्योंकि डॉक्टर नॉमिनेटेड नहीं है।
जबलपुर में भी स्थिति ठीक नहीं
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जबलपुर जिला अस्पताल में तीन USG मशीनें हैं और चार डॉक्टर उपलब्ध हैं। लेकिन, इनमें से भी तीन डॉक्टर एल्गिन अस्पताल में पदस्थ हैं। सिहोरा सिविल अस्पताल में लेडी डॉक्टर 1 महीने में सिर्फ चार दिन ही सेवाएं देती हैं।
कटनी जिले के सरकारी अस्प्तालों में सोनोग्राफी की सुविधा नहीं
कटनी जिला अस्पताल और विजयराघवगढ़ सिविल अस्पताल में मशीन और डॉक्टर उपलब्ध होने के बावजूद सोनोग्राफी की सेवाएं नहीं दे रही हैं। कटनी ऐसा जिला है जहां के दो प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सोनोग्राफी की जांच नहीं हो रही है। सागर जिला अस्पताल की एक रेडियोलॉजिस्ट सेवाएं नहीं दे रहे। इसी तरह मकरोनिया शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डॉक्टर सोनोग्राफी नहीं करती हैं।