100 मीटर रेस में चमके प्रह्लाद, बने भारत के सबसे तेज इंसान

By betultalk.com

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                            बैतुल जिले के ठेंमगांव से निकला प्रतिभाशाली धावक, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बना रहा पहचान

Betul News Today/भैंसदेही (मनीष राठौर):- लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती – हरिवंश राय बच्चन की यह पंक्ति बैतुल जिले के भैसदेही तहसील के ग्राम ठेंमगांव निवासी युवा धावक प्रह्लाद दहाके पर बिल्कुल सटीक बैठती है। सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और एथलेटिक्स में लगातार संघर्ष कर सफलता की नई गाथा लिखी है।100 मीटर में 10.68 सेकेंड का कमालप्रह्लाद ने हाल ही में आयोजित प्रतियोगिता में 100 मीटर दौड़ को मात्र 10.68 सेकेंड में पूरा कर भारत का सबसे तेज धावक बनने का गौरव हासिल किया। इस प्रदर्शन के दम पर उन्होंने चौथी भारत यू-23 प्रतियोगिता 2024-25 में चौथा स्थान प्राप्त किया। अंतरराष्ट्रीय मंच की ओर कदमअपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर प्रह्लाद अब 2025-26 विश्व एथलेटिक्स इंडौर प्रतियोगिता में क्वालिफाई कर चुके हैं, जहां वे 60 मीटर स्प्रिंट में भाग लेंगे। यह उनके खेल करियर का नया पड़ाव होगा और बैतुल जिले के लिए भी गौरव का क्षण।संघर्षों से भरी रही राहआर्थिक तंगहाली और खेल संबंधी सुविधाओं की कमी के चलते प्रह्लाद को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा।

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वे अपनी प्रतिभा के बावजूद दो राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि संसाधनों का अभाव था। इसके बावजूद उन्होंने अपने जुनून को जिंदा रखा और कोशिश जारी रखी।मदद की अपील और सपनों की उड़ानप्रह्लाद ने समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों से सहयोग की अपील भी की है। उनका सपना है कि वे भविष्य में एक बेहतरीन एथलीट बनकर देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतें। उनका कहना है कि यदि सरकार और खेल मंत्रालय उनकी प्रतिभा को पहचानकर उचित मंच और सुविधाएं मुहैया कराए, तो वे आने वाले वर्षों में भारत को कई बड़े अंतरराष्ट्रीय पदक दिला सकते हैं।जिले के लिए प्रेरणाबैतुल और आसपास के युवाओं के लिए प्रह्लाद की उपलब्धि एक प्रेरणास्रोत है। सीमित परिस्थितियों से निकलकर उन्होंने जिस तरह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई, वह साबित करता है कि मेहनत और हिम्मत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

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