FASTag Rules 2025:- भारत में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने टोल वसूली के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। हाईवे पर बिना फास्टैग वाले वाहनों को अब नई दरों के आधार पर टोल देना होगा। पहले इन वाहन चालकों से दोगुना शुल्क लिया जाता था, लेकिन अब सरकार ने डिजिटल भुगतान करने वालों को राहत दी है। यह कदम ट्रैफिक जाम कम करने और लोगों को डिजिटल लेनदेन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उठाया गया है।
नई टोल व्यवस्था क्या है?
अब बिना FASTag वाले वाहनों के लिए दो अलग-अलग दरें तय की गई हैं. अगर कोई वाहन चालक UPI या किसी अन्य डिजिटल माध्यम से टोल देता है, तो उसे 1.25 गुना शुल्क देना होगा. वहीं, अगर कोई चालक कैश से भुगतान करता है, तो पहले की तरह दो गुना टोल फीस लगेगी. यानी डिजिटल भुगतान करने वालों को अब थोड़ी राहत मिलेगी, जबकि नकद भुगतान करने वालों पर सख्ती जारी रहेगी.
क्यों किया गया बदलाव?
सरकार का मकसद टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी कतारों को खत्म करना है. नकद लेनदेन में समय ज्यादा लगता है, जिससे ट्रैफिक जाम बढ़ता है. इस नई व्यवस्था से उम्मीद है कि ज्यादा लोग डिजिटल माध्यम अपनाएंगे और टोल प्लाजा पर गाड़ियां तेजी से गुजर सकेंगी. मंत्रालय का कहना है कि यह कदम स्मार्ट और पारदर्शी टोल सिस्टम की दिशा में एक अहम सुधार है.
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UPI बना बीच का रास्ता
FASTag न रखने वालों के लिए सरकार ने UPI को एक मिडिल वे के रूप में पेश किया है. इससे उन लोगों को फायदा होगा जो अभी FASTag नहीं लगवा पाए हैं, लेकिन डिजिटल भुगतान करते हैं. यह न केवल समय बचाएगा बल्कि नकद लेनदेन की झंझट को भी कम करेगा.
FASTag सबसे बेहतर ऑप्शन
भले ही सरकार ने डिजिटल भुगतान करने वालों को कुछ राहत दी है, लेकिन FASTag अब भी टोल देने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है. देशभर में 7 करोड़ से ज्यादा FASTag जारी किए जा चुके हैं और लगभग 97% टोल भुगतान पहले ही डिजिटल हो चुके हैं. इसलिए मंत्रालय ने वाहन मालिकों से अपील की है कि वे अपने FASTag को सक्रिय रखें, उसे सही बैंक खाते से लिंक करें और समय-समय पर रिचार्ज करते रहें.