ग्राम मोवाड़ के ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, निष्पक्ष जांच और पटवारी को हटाने की मांग, कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी
Betul Ki Taja Khabar/आमला। ग्राम मोवाड़ तहसील बैतूल के आदिवासी ग्रामीणों ने पटवारी रूपेश झाड़े पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पटवारी ने भूमाफिया पप्पु उर्फ शरद जैसवाल से मिलकर सरकारी भूमि और आदिवासी किसानों की निजी जमीनों पर अवैध कब्जा करवा दिया है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम के समीप स्थित शासकीय चारागाह भूमि खसरा नंबर 43(5), 37(5), 39/1(5) कई वर्षों से ग्रामीणों द्वारा पशुओं के चराई और सामुदायिक उपयोग के लिए प्रयोग की जाती रही है, लेकिन पटवारी ने उक्त भूमि को भूमाफिया के नाम कर अतिक्रमण करा दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि यही नहीं, आदिवासी किसान टेकचंद पिता स्वरूप सिंह कोरकू की निजी जमीन खसरा नंबर 45/1(5), 45/2(5), 131(5) पर भी रूपेश झाड़े ने पैसे लेकर कब्जा करा दिया है। टेकचंद के लापता होने की बात भी ग्रामीणों ने बताई है और इसे संदिग्ध बताया है। इस पूरे मामले को लेकर गांव में रोष है।
शिकायत पत्र के अनुसार, 8 अक्टूबर 2025 को पटवारी रूपेश झाड़े ने अपने मोबाइल नंबर 9407080606 से ग्राम मोवाड़ निवासी शेषराव उईके को कॉल कर धमकाया। ग्रामीणों का कहना है कि पटवारी ने आमला थाने में दर्ज एफआईआर क्रमांक 480 दिनांक 16 जुलाई 2025 को वापस लेने का दबाव बनाया और धमकी दी कि यदि एफआईआर वापस नहीं ली गई तो ग्रामीणों के खेतों में बन रही ईंटें जप्त कर ली जाएंगी और उनके खिलाफ नया प्रकरण दर्ज किया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि वे अपने निजी उपयोग के लिए अपने खेतों में ईंटें बना रहे हैं, जिस पर पटवारी और भूमाफिया मिलकर धमकियाँ दे रहे हैं। इससे ग्रामीणों में भय और आक्रोश दोनों फैला हुआ है। उनका आरोप है कि यह पूरा खेल भूमाफिया और भ्रष्ट पटवारी की मिलीभगत से चल रहा है, जिसका उद्देश्य आदिवासियों की जमीन हड़पना है।
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प्रार्थना पत्र में आदिवासी समुदाय ने मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच उच्च स्तरीय अधिकारियों की टीम गठित कर कराई जाए और भ्रष्ट पटवारी रूपेश झाड़े को तत्काल प्रभाव से ग्राम मोवाड़ से हटाया जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई तो वे “जयेस आदिवासी युवाशक्ति संगठन” के साथ मिलकर बैतूल में उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे।ग्राम मोवाड़ के ग्रामीणों कमलू, शिकली, लखमा, सुखवती, माली, संजू और बलीराम समेत कई आदिवासी परिवारों ने इस शिकायत पर हस्ताक्षर किए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि वे न्याय की उम्मीद में हैं और चाहते हैं कि प्रशासन आदिवासियों के हित में ठोस कदम उठाए ताकि कोई भी अधिकारी या भूमाफिया उनकी जमीनों पर दोबारा नजर न डाल सके।