Betul News – श्री धूनीवाले दादाजी पदयात्रियों झल्लार भैंसदेही के श्रद्धालुओं पहुंचे रंभा

By betultalk.com

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दादा धूनीवाले के दरबार में पहुंचेंगे लाखों श्रद्धालु:सेवा का ऐसा भाव कि लगभग 200 किमी पदयात्रा कर पहुंचेंगे दादा धाम खण्डवा

न चंदा, न पंडा… यहां सिर्फ चलता है दादाजी का डंडा

Betul News / भैंसदेही (मनीष राठौर) :- दादाजी धूनी वाले पदयात्रा श्रद्धालुओं का जत्था रंभा पहुंचा जहां आर्य परिवार विश्राम कर श्रद्धालुओं आगे की ओर प्रस्थान हुए विश्राम भी किया l दादाजी धूनीवाले का इकलौता ऐसा दरबार, जहां गुरु-शिष्य की एक साथ समाधि है। इसलिए जंगल यहां गुरु पूर्णिमा का महत्व बढ़ जाता है। हर साल की तरह इस बार भी देशभर से लाखों श्रद्धालु गुरु पूर्णिमा के मौके पर दर्शन करने खंडवा पहुंचते हैं।

सेवा का उत्साह और अद्भुत जुनून जगह जगह रास्ते के लोगों में देखने को मिल रहा है। गरीब हो या अमीर या कुली, हम्माल से लेकर छोटा-बड़ा हर व्यापारी अपना कारोबार बंद करके सेवा में जुट जाते है। बाहरी श्रद्धालुओं से बगैर कोई पैसा लिए सम्मान के साथ जलपान से लेकर मालपुआ खिलाया जाता है।

खण्डवा मंदिर में श्री केशवानंद महाराज (बड़े दादाजी) और श्री हरिहरानंद महाराज (छोटे दादाजी) की समाधि के साथ ही 1930 से अखंड प्रज्वलित धूनी और मां नर्मदा की प्रतिमा विराजमान है।

दादाजी की समाधि पर दिन में चार समय भोग लगाया जाता है। वहीं बाहर से आने वाले श्रद्धालु, नर्मदा परिक्रमावासियों और सेवादारों के लिए बड़े भंडार में सुबह-शाम टिक्कड़ और दाल की प्रसादी बनाई गई है। मेले के दौरान पूरा शहर दादाजी भक्तों की सेवा में जुट गया है। लोगों के मन में ‘देने वाले दादाजी और पाने वाले दादाजी’ का भाव देखने को मिलता है। यही वजह है कि सैकड़ो लोग पद यात्रा करके निशान पेश करते हैं लाखों लोगों के आने के बावजूद दादाजी की नगरी से कोई भी श्रद्धालु भूखा नहीं लौटता।

पद यात्रा करके पहुंच रहे सैकड़ो श्रद्धालु के जत्थे
धूनीवाले दादाजी के स्थान पर बड़ी संख्या में पद यात्रा करके बैतूल जिले के सैकड़ो श्रद्धालु के जत्थे पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु आते हैं. इसके अलावा अनेकों शहर , गांव नगरवासी स्वैच्छिक रूप से भंडारे आयोजित करते हैं जगह जगह पद यात्रियों की सेवा करते हैं सेवा का यह ज़ज़्बा देखने लायक होता है. न केवल पुरुष बल्कि महिलाएं और बच्चे भी इस सेवा में बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं.

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चमत्कारिक संत के रूप में पूजे जाते हैं
नर्मदा के उपासक अवधूत संत बड़े दादाजी स्वामी केशवानंद महाराज के श्रीचरण 30 नवम्बर 1930 को खण्डवा में पड़े और यह भूमि पावन हो गई. इस तारीख के मात्र चार दिन बाद बड़े दादाजी ने देह त्याग कर निर्वाण प्राप्त किया. इसके बाद उनके ही शिष्य छोटे दादाजी स्वामी हरिहरानंद जी उत्तराधिकारी बनाये गए जिन्होंने लम्बे समय तक आश्रम की व्यवस्थाओं का संचालन किया. 12 वर्ष पश्चात् 4 फरवरी 1942 को उनका भी निर्वाण हुआ और उनकी समाधि भी बड़े दादाजी के समीप बनाई गई. दोनों चमत्कारिक संत के रूप में पूजे जाते हैं, जिनके भक्त पूरे देशभर में फैले हुए हैं.

प्रतिवर्ष अनुसार त्रिवेणी भारती नागा दादाजी धाम भैंसदेही से निशान लेकर श्रद्धालू पदयात्रा कर निशान लेकर खंडवा जाते हैं श्री दादाजी पद यात्रियों का रंभा में पहला विश्राम किया जाता पूजा-अर्चना कर रात्रि में भजन कीर्तन कर सुबह भंडारा आयोजित किया जाता हैं रंभा से पदयात्रा आगे निकलते हैं श्रद्धालु गण बड़ी संख्या में श्रद्धालु पद यात्रा कर के जा रहे है । गुरु पूर्णिमा महोत्सव के तहत यहां दादाजी धूनीवाले दरबार में निशान चढ़ाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता हैं श्री दादा धाम तक दादाजी भक्तों का कारवां हाथों में निशान (ध्वजा) लेकर दादाजी नाम संकीर्तन करते हुए जा रहे है रंभा में श्री लखन आर्य परिवार द्वारा दादाजी के निशान स्थल पर पूजा-अर्चना की गई। दादाजी सेवा भक्त मंडल के कमल धाकड़, प्रवीण, सतीश शिवदीन काका नारायण त्रिवेणी भारती नागा दादाजी समिति ने बताया कई सालों यह परंपरा चली आ रही है।

रंभा पहुंचकर श्रद्धालुओ का पैर दुलाकर किया जाता सम्मान : श्रद्धालु भैंसदेही से रंभा पदयात्रा करते हुए पहुंचे। यहां स्वागत किया गया। दादा भक्त कमल धाकड़ की टीम भैंसदेही से श्री त्रिवेणी भारती नागा दादाजी धाम से खण्डवा दादा दरबार तक पैदल बगैर चप्पल से निशाना लेकर 18 जुलाई को पहुंचेंगे। आर्य परिवार ने आभार माना

भैंसदेही झल्लार गोरेगांव से. पद यात्रियों बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

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