विकास के हो रहे दावे लेकिन नहीं बदली ताप्ती की तकदीर
Betul News Today/मुलताई। मां ताप्ती के नाम पर वर्षों से कितने ही जनप्रतिनिधि आए और गए जिनकी तकदीर तो बदली लेकिन ताप्ती की तकदीर नही बदली। वर्षों से राज करने वाले जनप्रतिनिधियों ने प्रमुख एवं उच्च पदों पर बैठकर अपना साम्राज्य तो स्थापित कर लिया लेकिन नगर को पहचान देने वाली ताप्ती की कभी सुधि नही ली जिससे स्थिति यह है कि आज भी ताप्ती सरोवर में गंदा पानी सहित गंदगी समाहित हो रही है तथा ताप्ती प्रदूषण मुक्त होने की राह देख रही है। जन जन की आस्था का केन्द्र ताप्ती सरोवर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए करोड़ों की योजना पूरी तरह असफल हो गई लेकिन किसी ने भी इस योजना की असफलता का क्या कारण रहा इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जिससे अब भविष्य में कब तक ताप्ती प्रदूषण मुक्त होगी इसे लेकर जनप्रतिनिधियों सहित अधिकारियों के पास कोई संतोष प्रद जवाब नही है। ताप्ती सरोवर में लगातार गंदा पानी समाहित हो रहा है और लोग श्रद्धावश आचमन कर रहे हैं जो नगर के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। जनप्रतिनिधिगण कितने भी विकास के दावे कर लें लेकिन यह कटु सत्य है कि ताप्ती सरोवर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वे कुछ नही कर पाए जिससे स्थिति यह है कि वर्षों से स्टेशन रोड की ओर से आने वाले जल आवक मार्ग से गंदा पानी सहित अन्य गंदगी ताप्ती सरोवर में सतत समाहित हो रही है।
6 करोड़ की सीवर लाईन योजना असफल
ताप्ती सरोवर में गंदा पानी समाहित नही हो इसके लिए लगभग 6 करोड़ का सीवर लाईन प्रोजेक्ट कुछ वर्ष पूर्व लाया गया था लेकिन प्रोजेक्ट में कई खामियां होने से लगभग आधा कार्य होने के बाद सीवर लाईन प्रोजेक्ट असफल होकर बंद हो गया। आश्चर्य इस बात का है कि नगर सहित जिले में महत्वपूर्ण पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों ने कभी सीवर लाईन प्रोजेक्ट की असफला को लेकर चर्चा तक नहीं की और ना ही प्रोजेक्ट के आगे क्या करना है इस पर ध्यान दिया जिससे सरोवर में सतत गंदे पानी की आवक जारी है। सीवर लाईन प्रोजेक्ट असफल होने से जहां ताप्ती सरोवर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए आई 6 करोड़ रूपए की राशि छिन्न भिन्न हो गई वहीं अब आगे इसके लिए क्या होगा इसे लेकर भी जनप्रतिनिधियों के पास कोई संतोषप्रद जवाब नही हैं जिससे नगर का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा।
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प्रोजेक्ट प्लाप, सड़कों की हुई दुर्दशा
ताप्ती सीवर लाईन प्रोजेक्ट के असफल होने के साथ साथ नगर के तीन वार्डों के लोगों को सीमेंट सड़कें टूटने का भी दंश झेलना पड़ा। बताया जा रहा है कि प्रोजेक्ट के लिए ठेकदार द्वारा तीन वार्डों की पक्की सीमेंट सड़कों की ठीक बीच में से तोड़ा गया जिससे सड़क दो भागों में बंट गई। पाईप लाईन डालने के बाद जहां सड़कों की मरम्मत किया जाना था लेकिन मरम्मत नही की गई जिससे करोड़ों रूपए की सीमेंट सड़कें भी सीवर लाईन प्रोजेक्ट की भेंट चढ़ गई। नागरिकों ने बताया कि यदि सीवर लाईन सड़क के एक ओर से डाली जाती तो सड़कों की दुर्दशा नही होती। सीवर लाईन प्रोजेक्ट भले ही प्लाप हो जाता लेकिन करोड़ों की सड़कें बच जाती। लेकिन इस प्रोजेक्ट की असफलता के साथ ही नगर को सीमेंट सड़कों के क्षतिग्रस्त होने का भी खामिजाया भोगना पड़ा।
उच्च पदों पर बैठे जनप्रतिनिधियों ने नहीं की सुध
बैतूल जिले के सांसद डीडी उईके केन्द्रीय राज्य मंत्री के पद पर बैठे हुए हैं वहीं बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पद पर विराजित है इसके बावजूद यदि ताप्ती को प्रदूषण मुक्त करने की सुध नहीं ली जा रही है इससे बड़ी विडंबना कोई हो ही नही सकती। नगर से लेकर दिल्ली तक भाजपा काबिज है तथा जनप्रतिनिधि विकास के लगातार दावे कर रहे हैं लेकिन पूरे जिले को पहचान देने वाली ताप्ती अभी भी अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है। जनप्रतिनिधिगण विकास के कितने ही दावे करें लेकिन जब तक नगर में ही ताप्ती प्रदूषण मुक्त नहीं होती तब तक सारे विकास के दावे खोखले हैं।

