Betul Local News – स्थानीय लोगों का आरोप: राजस्व अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की आशंका

By betultalk.com

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घोड़ाडोंगरी तहसील में शासकीय भूमि घोटाला: राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ का आरोप,प्रशासनिक उदासीनता से आक्रोशित लोग लोकायुक्त से शिकायत की तैयारी में

खसरा 708 पर विवादित निर्माण कार्य: 1968-69 के रिकॉर्ड में घास की भूमि, अब आबादी मद में परिवर्तित

Betul Local News / शाहपुर :– घोड़ाडोंगरी तहसील में शासकीय भूमि से जुड़े विवाद और घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में तहसील के खसरा नंबर 708 को लेकर एक नया मामला सामने आया है, जो तहसील के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और शासकीय भूमि के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है।

सूत्रों के अनुसार अरविंदर सिंह पोपली द्वारा अवैध रूप से की गई शासकीय रोड की चौड़ाई में गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। खसरा नंबर 708 और 667 के बीच स्थित यह रोड, जो रिकॉर्ड में 30 फीट चौड़ी दर्ज है, मौके पर मात्र 10 फीट रह गई है। इसके बावजूद, इस अतिक्रमण के खिलाफ अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे राजस्व विभाग पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

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खसरा नंबर 708 में हो रहे निर्माण कार्य को लेकर भूपेंद्रर सिंह पोपली द्वारा की गई शिकायतों के बावजूद, तहसीलदार महिमा मिश्रा ने इसे आबादी भूमि का मामला बताकर किसी भी कार्रवाई से इंकार कर दिया है। हालांकि, रिकॉर्ड के अनुसार, 1968-69 में यह भूमि घास की भूमि के रूप में दर्ज थी। वर्तमान में, इस भूमि का एक भाग शासकीय स्कूल के लिए आवंटित है, जबकि शेष भाग को आबादी मद में परिवर्तन किया गया है। इस भूमि पर अरविंदर सिंह पोपली का कब्जा होने और रिकॉर्ड में कोई स्पष्ट आदेश दर्ज न होने के कारण, लोगों में यह आशंका है कि राजस्व अधिकारी ने रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर इस भूमि को आबादी मद में दर्ज किया होगा। यह मामला अब जांच का विषय बन चुका है और इसे शासकीय भूमि घोटाले से जोड़कर देखा जा रहा है।
कई स्थानीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि घोड़ाडोंगरी तहसील में शासकीय भूमि घोटाले की लगातार हो रही शिकायतों के बावजूद, जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने से बचते नजर आ रहे हैं। इस कारण, अब लोग लोकायुक्त के पास शिकायत करने की तैयारी कर रहे हैं। यह मामला घोड़ाडोंगरी तहसील के प्रशासनिक व्यवस्था और शासकीय भूमि की सुरक्षा में लापरवाही को उजागर करता है। अब देखना यह होगा कि लोकायुक्त में शिकायत दर्ज होने के बाद क्या कोई ठोस कार्रवाई होती है या यह मामला भी अन्य विवादों की तरह दबा दिया जाएगा।

इनका कहना –

तहसीलदार महिमा मिश्रा ने बताया कि वे खसरे की जांच करवा रही हैं और पुराने रिकॉर्ड निकलवाकर पता किया जा रहा है कि किस वर्ष में भूमि को आबादी घोषित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि कलेक्टर की अनुमति के बिना ऐसा परिवर्तन संभव नहीं है और रोड के संबंध में पटवारी से रिपोर्ट मंगवाकर नोटिस जारी किया जा रहा है।

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