Betul News Today : घोड़ाडोगरी विधानसभा का आदिवासी गांव फिर कैद होने को तैयार

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✓घोड़ाडोगरी विधानसभा का आदिवासी गांव फिर कैद होने को तैयार !
✓माचना नदी पर पुलिया न होने से अनाज-ईलाज के लिए मोहताज हो जाते है ग्रामीण
✓केन्द्रीय राज्य मंत्री को पाठई काटावड़ी जनपद सदस्य एवं भाजयुमो शाहपुर नगर अध्यक्ष ने सौंपा ज्ञापन

Betul News Today :- मोदी 3.0 सरकार में बैतूल जिले के आदिवासी जननेता सांसद डीडी उईके को दिनों केन्द्रीय राज्य मंत्री (जनजातीय मामले) बनाये जाने के पास उनके गृह जिले के विकास से अछूते आदिवासियों की सोई हुई उम्मीदें फिर जाग उठी है। आजादी के 76 वर्ष बीत चुके है और डेढ़ महीने बाद हम सभी 77वीं वर्षगांठ मनाएगे, करीब आठ दशक बाद भी आदिवासी बाहुल्य जिले बैतूल में कई ऐसे गांव है जो मूल भूत सुविधाओं को तरस रहे है। गांवों की आबादी बारिश के चार महीनों में अपने गांवों में ही कैद होकर रह जाती है, क्योंकि गांव नदी के किनारे है और नदी पर पुलिया नहीं है। नदी में बारिश के दिनों में पानी की अधिकता एवं अक्सर बाढ़ के हालात होने की वजह से ग्रामीण अनाज और ईलाज दोनों के लिए मोहताज हो जाते है। यह तस्वीरे घोड़ाडोंगरी विधानसभा एवं शाहपुर जनपद के ग्राम झिल्पा की है। माचना नदी के पार बसे ग्राम झिल्पा में समय पर एम्बुलेंस न पहुंच पाने से उपचार में देरी से लेकर स्कूली बच्चों का स्कूल तक बारिश के दिनों में प्रभावित हो जाता है। उक्त समस्याओं के निदान के लिए माचना नदी पर जामुनढाना की तर्ज पर ही पुलिया निर्माण किए जाने की मांग क्षेत्र के भाजयुमो नगर अध्यक्ष शाहपुर मयंक वर्मा एवं जनपद सदस्य पूनम राजकुमार धुर्वे ने बैतूल हरदा हरसूद लोकसभा क्षेत्र के सांसद एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री जनजातीय मामले को ज्ञापन सौपंकर की है। ज्ञापन सौंपने के दौरान नगर परिषद शाहपुर के अध्यक्ष रोहित विक्की नायक भी मौजूद थे।


64 परिवारों की आवाज बने जनप्रतिनिधि – Betul News Today

ग्राम झिल्पा में आदिवासियों के 64 परिवार है जिनकी जनसंख्या 665 है। ग्रामीणों का कहना है कि बारिश के दिनों में वह मुख्य धारा से बिलकुल अलग हो जाते है। यदि मजबूरी वश गांव से बाहर जाना होता है तो वापसी को लेकर डर बना रहता है। माचना नदी पर पुलिया न होने के कारण स्कूली छात्र-छात्राओं की शिक्षा भी प्रभावित होती है, बीमार एवं गर्भवती महिलाओं को समय पर एम्बुलेंस या वाहन न मिलने से समय पर उपचार नहीं मिल पाता। पूर्व में भी ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। ग्राम झिल्पा की शासकीय उचित मूल्य की दुकान भी ग्राम कालापानी में संचालित है जिसकी वजह से ग्रामीण समय पर राशन लेने नहीं जा पाते। झिल्पा से कालापानी ग्राम पांच किमी दूर है। ऐसे में आदिवासी ग्रामीण चार माह तक राशन भी नही ले पाते है। आदिवासी परिवारों की उक्त समस्या के निदान के लिए जनपद सदस्य एवं भाजयुमो नगर मंडल अध्यक्ष मयंक ने माचना नदी पर पुलिया निर्माण को लेकर ज्ञापन केन्द्रीय राज्य मंत्री को देकर निराकरण की मांग की है।

जामुनढाना में खनिज मद से किया जा रहा पुलिया निर्माणBetul News Today

गौरतलब है कि शाहपुर क्षेत्र के पावरझंडा पंचायत के ग्राम जामुनढाना में खनिज मद से पुलिया का निर्माण जारी है। कलेक्टर ने यहां खनिज मद से पुलिया निर्माण के लिए स्वीकृति दी थी। 1200 की आबादी वाले इस गांव के ठीक पहले सूखी नदी पड़ती है, जिसकी वजह से जामुनढाना वासियों को बारिश के दिनों में परेशानियों का सामना करना पड़ता था। प्रसव पीड़ा एक महिला को ग्रामीणों ने डोली बनाकर नदी पार कराई थी, यह मामला मीडिया के माध्यम से सुर्खियों में आने के बाद यहां खनिज मद से पुलिया निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई थी। गौरतलब है कि ग्राम पंचायत काटावाडी का ग्राम झिल्पा एक वनग्राम है। यहां की आबादी 600 है यहां के रहवासी वर्षों से माचना नदी पर पुलिया निर्माण की मांग कर रहे है। ग्रामीणों को अब उम्मीद है कि केन्द्रीय राज्य मंत्री आदिवासियों की पीड़ा को समझेगे।

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