Betul Ki Khabar: छिदगांवमेल क्षेत्र के खेतों में रबी की फसल की जुताई किसानों ने शुरू कर दी है। लेकिन किसान अभी भी डीएपी की मांग कर रहे हैं। किसानों को अभी भी पर्याप्त डीएपी नहीं मिल पा रही है। किसानों का कहना है कि गेहूं और चने की बुवाई के लिए अभी डीएपी की जरूरत है। लेकिन विकल्प के तौर पर हमें एनपीके और यूरिया मिलता है। छिदगांवमेल के किसान शुरू से ही खाद के संकट से जूझ रहे हैं। गांव के किसानों को गेहूं की फसल के लिए डीएपी की जरूरत है। लेकिन किसानों को पर्याप्त डीएपी नहीं मिल पा रही है। बेबस किसान टिमरनी, हरदा में निजी दुकानों से डीएपी ले रहे हैं, किसान रात-रात भर जागकर खुद के ट्रैक्टर-ट्रॉली से डीएपी का इंतजाम कर रहे हैं। किसानों की जरूरत इसी बात से समझी जा सकती है कि किसान डीएपी लेते समय लागत या कीमत नहीं देखते हैं। वे भूखे-प्यासे लाइन में खड़े रहते हैं। इसके बावजूद उन्हें प्रति किसान सिर्फ 10 बोरी डीएपी ही मिलती है शेष परमिटधारी किसानों को 2-4 दिन बाद ट्रक आने पर डीएपी वितरित की जाएगी।
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