Absent-Mindedness: क्या आप अक्सर अपना चश्मा, घड़ी, एकांतवास या छाता घर में कहीं भूल जाते हैं? बाहर जाने के बाद क्या आपने सोचा कि क्या आपने दरवाज़ा बंद किया या फिर आपको परेशान किया? क्या आपने लाइट बंद की या नहीं…क्या यह अभी भी आपको परेशान करता है? अगर ऐसा है, तो आप अकेले नहीं हैं जो इस समस्या का सामना कर रहे हैं। आज की तेज़ी से विकसित होती ज़िंदगी में यह आदत बहुत आम हो गई है। लेकिन क्या यह एक गंभीर समस्या है या फिर सिर्फ़ एक सामान्य मानसिक स्थिति? इसके बारे में मनोविज्ञान क्या कहता है और इस आदत से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है, आज हम जानेंगे।
चीज़ें भूल जाना इंसान के स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन अगर यह आदत आपको बार-बार परेशान करने लगे, तो इसे हल्के में न लें। यह इस बात का संकेत है कि आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। सही दिनचर्या, ध्यान और समय प्रबंधन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह समझना ज़रूरी है कि सक्रिय मस्तिष्क ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।
भूलने की आदत का मनोविज्ञान क्या है?
आजकल यह शिकायत काफ़ी आम हो गई है। छोटी-छोटी गलतियाँ हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गई हैं। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, भूलने की इस आदत को “अनुपस्थिति” कहते हैं। और यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि हमारे मस्तिष्क के काम करने का एक स्वाभाविक तरीका है, जो कई बार तनाव, थकान या मल्टीटास्किंग के कारण बढ़ जाता है। मनोविज्ञान में भूलने की इस आदत को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने कई रोचक अध्ययन किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि हमारा मस्तिष्क एक सुपर कंप्यूटर की तरह है, लेकिन इसकी अपनी सीमाएँ भी हैं। आइए कुछ मुख्य कारणों पर नज़र डालते हैं:
- विभाजित ध्यान: जब हम एक ही समय में कई काम करने की कोशिश करते हैं जैसे फ़ोन पर बात करते समय चश्मा रखना या टीवी देखते समय दरवाज़ा बंद करना। तब हमारा ध्यान पूरी तरह से एक काम पर नहीं होता। नतीजतन, हम भूल जाते हैं कि हमने हाल ही में क्या किया था।
- रोज़मर्रा की आदतें (स्वचालित आदतें): हम कुछ काम जैसे चश्मा लगाना या उतारना इतनी बार करते हैं कि वे हमारे लिए “स्वचालित” हो जाते हैं। ऐसे में हमारा मस्तिष्क इन छोटी-छोटी बातों को याद रखने की ज़रूरत महसूस नहीं करता।
- तनाव और थकान: जब हम तनाव में होते हैं या पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो हमारा मस्तिष्क “शॉर्ट-टर्म मेमोरी” को प्रोसेस करने में कमज़ोर होता है। इसलिए जब हम थक जाते हैं तो हम बार-बार चीजें भूलने लगते हैं।
- सूचना का अतिभार: आज के डिजिटल युग में, हमारे मस्तिष्क को हर पल बहुत सारी सूचनाओं को प्रोसेस करना पड़ता है। जैसे कि कई नोटिफिकेशन, ई-मेल और सोशल मीडिया की भागीदारी। सूचनाओं की इस बाढ़ में छोटी-छोटी बातें भूल जाना स्वाभाविक है।
- उम्र का प्रभाव: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मस्तिष्क की “कार्यशील स्मृति” की क्षमता थोड़ी कम हो सकती है। हालांकि, यह केवल बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं है। युवाओं को भी मल्टीटास्किंग और तनाव के कारण इस समस्या का सामना करना पड़ता है।
जैसा कि इसे मनोविज्ञान कहते हैं
मनोविज्ञान में, इस तरह की विस्मृति को “संभावित स्मृति विफलता” या “अनुपस्थिति” के रूप में समझाया गया है। परिप्रेक्ष्य स्मृति वह क्षमता है जो हमें भविष्य में कुछ करने की योजना बनाने और याद रखने में मदद करती है … जैसे “मुझे दरवाज़ा बंद करना है” या “मुझे अपना चश्मा अपने साथ ले जाना है।” जब हमारा ध्यान कहीं और होता है, तो यह स्मृति विफल हो जाती है।
दिलचस्प बात यह है कि यह प्रथा सभी में विभिन्न रूपों में देखी जाती है। कुछ लोग चीजों को गलत जगह पर रखते हैं (जैसे फ्रिज में चश्मा), जबकि कुछ लोग बार-बार चीजों को चेक करते हैं कि लॉक बंद है या नहीं। मनोवैज्ञानिक इसे “नियंत्रण व्यवहार” कहते हैं जो कभी-कभी हल्के जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD) का लक्षण हो सकता है।
क्या है समाधान
अच्छी बात यह है कि इस भूलने की आदत को कुछ आसान तरीकों से नियंत्रित किया जा सकता है। आइए इसके लिए कुछ रोचक और व्यावहारिक समाधान देखें:
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- नियम “हर चीज के लिए जगह”: हर चीज के लिए एक पक्की जगह बनाएं। चश्मा हमेशा टेबल पर, घड़ी दराज में, छाता दरवाजे के पास होना चाहिए। जब चीजें अपनी जगह पर होंगी, तो भूलने की जगह कम होगी।
- माइंडफुलनेस का जादू: काम के दौरान मानसिक रूप से मौजूद रहें। उदाहरण के लिए, दरवाजा बंद करते समय कहें, “मैं दरवाजा बंद करता हूं।” यह छोटा सा कदम आपके दिमाग को उस पल को याद रखने में मदद करेगा।
- चेकलिस्ट बनाएं: चश्मा, ट्रैकिंग, लॉक, मोबाइल, जरूरी दस्तावेज आदि को बाहर निकालने से पहले एक छोटी सी चेकलिस्ट बनाएं ताकि आप इसे हर बार देख सकें। 4. तकनीक का इस्तेमाल करें: स्मार्टफोन रिमाइंडर, इंटेलिजेंट लॉक या ट्रैकिंग डिवाइस आपकी भूल को नियंत्रित करने में गेम कन्वर्टर साबित हो सकते हैं। 5. नियमित व्यायाम करें: व्यायाम से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है। इसका सीधा असर दिमाग पर पड़ता है और याददाश्त भी बेहतर होती है। 6. तनाव कम करें और पर्याप्त नींद लें: योग, ध्यान और अच्छी नींद आपके दिमाग को रिचार्ज करती है, जिससे आपकी आदत कम होती है। 7. हास्य को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं: अपनी गलतियों पर हंसना सीखें। इससे तनाव कम होगा और आप अधिक सतर्क रहेंगे