गुरुकुल परंपरा के महत्व और प्रासंगिकता पर भाषण विधा से शुरू हुई भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों की छः दिवसीय श्रृंखला
Betul Ki Khabar :- शासकीय महाविद्यालय शाहपुर में सोमवार को शासन के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित छह दिवसीय श्रृंखलाबद्ध साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बेला का शुभारंभ हुआ। श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों की कड़ी का उद्घाटन सरस्वती पूजन व द्वीप प्रज्वलन के द्वारा किया गया। इस अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो सी के बाघमारे ने इन छह दिवसीय साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की तिथि,विषय,रूपरेखा व उद्देश्यों से सभी को अवगत कराया। उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष नितिन महतो ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार अनंत है इस पर जितना कहे उतना कम है।
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उन्होंने विद्यार्थियों से भारतीय संस्कृति का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण हेतु 2025 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ के अवसर पर प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबन्ध हेतु एक थैली एक थाली अभियान अभियान का उल्लेख किया।उद्घाटन सत्र को महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो एम डी वाघमारे ने भी संबोधित किया। अपने उद्बोधन में उन्होंने आश्रम व्यवस्था के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गुरुकुल परंपरा और ब्रह्मचर्य आश्रम पर विशेष जोर दिया। उद्घाटन सत्र के प्रथम दिन भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसके प्रभारी डॉ शीतल चौधरी ने बताया की प्राचीन काल में भारत में लगभग ढाई लाख से अधिक गुरुकुल थे। जहां पर गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित शिक्षण पद्धति प्रचलित थी। कार्यक्रम का संचालन डॉ नितेश पाल व आभार प्रदर्शन प्रो अजाब राव इवने के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में लगभग 97 विद्यार्थी सहित समस्त महाविद्यालय स्टाफ उपस्थित रहा। समस्त गतिविधियों के विजेताओ तथा सहभागी विद्यार्थियों को अंतिम गतिविधि के दिन ट्राफी एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।