Betul Ki Khabar: पांच साल पहले मर चुके सब्जी विक्रेता की विधवा ने प्रबंधन से अनिश्चितकालीन धरना देने की अनुमति मांगी है। कलेक्टर और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत कर चुकी यह महिला पति की मौत के बाद संबल योजना की राशि पाने के लिए भटक रही है। इसमें अजीब बात यह है कि राशि स्वीकृत हो गई है लेकिन अधिकारी कहते हैं कि सरकार के पास पैसा नहीं है। भैंसदेही तहसील के ठेसका गांव निवासी सुनीता उइके (38) के पति राजू सब्जी बेचते थे। 2 जून 2019 को संक्रमण के बाद उनकी मौत हो गई। राजू और सुनीता के तीन बच्चे हैं। इनमें एक बेटी और एक बेटा है। राजू मुख्यमंत्री जनकल्याण (संबल) योजना का पंजीकृत कर्मचारी था। सरकारी योजना के अनुसार उनकी मृत्यु के बाद श्रम विभाग ने उनके परिजनों को 2 लाख रुपए की अनुग्रह राशि स्वीकृत कर एक माह बाद 20 जुलाई 2019 को स्वीकृत कर दी। इतना ही नहीं यह राशि 27 सितंबर 2019 को भैंसदेही जनपद के खाते में भी भेज दी गई, लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी जनपद सुनीता को यह राशि नहीं दे पाया है।
5 साल से भटक रही सुनीता
पति की मृत्यु के बाद मुआवजे की चाह में सुनीता 5 साल से भटक रही है। संबल योजना की राशि पाने के लिए अब उसने 2 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरना देने की अनुमति प्रबंधन से मांगी है। सुनीता के अनुसार योजना की राशि पाने के लिए उसने जिला प्रशासन कलेक्टर बैतूल, जिला पंचायत सीईओ बैतूल, जिला पंचायत सीईओ भैसदेही, सीएम हेल्पलाइन के साथ ही लोकायुक्त से भी शिकायत की है, लेकिन कुछ नहीं हुआ। महिला ने अब 6 साल के ब्याज सहित बताई गई राशि दिलाने की मांग की है।
महिला द्वारा सीएम हेल्पलाइन में शिकायत किए जाने के बाद श्रम विभाग अधिकारी ने मामले को संज्ञान में लिया और भैंसदेही के सीईओ को राशि जारी करने के लिए पत्र लिखा।
महिला द्वारा सीएम हेल्पलाइन में शिकायत किए जाने के बाद श्रम विभाग अधिकारी ने मामले को संज्ञान में लिया और भैंसदेही के सीईओ को राशि जारी करने के लिए पत्र लिखा।
जिले की बड़ी लापरवाही, किसी और खाते में जमा हो गई राशि
इस मामले की अजीब बात यह है कि श्रम विभाग ने महिला को स्वीकृत यह राशि 2019 में ही जिले के खाते में भेज दी थी। जब महिला ने इसकी शिकायत की तो पता चला कि जिले ने गलती से यह राशि सुमित्रा हर्षुल नामक महिला के खाते में जमा कर दी। जिले ने भी श्रम विभाग को पत्र भेजकर अपनी गलती स्वीकार की। यहां पता चला कि जब यह राशि सुमित्रा के खाते में जमा हुई तो न तो उसके लिए कोई राशि आवंटित हुई और न ही अधिकारियों से राशि प्राप्त हुई।
सुनीता के पति की 2019 में मौत हो गई थी। तब से वह संबल योजना की राशि के लिए दफ्तरों के चक्कर लगा रही हैं।
अधिकारी सुनीता को गुमराह कर रहे हैं
सुनीता के अनुसार पति की मौत के बाद उसके लिए अपने बच्चों का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। पैसे की कमी के कारण वह न तो अपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा पा रही है और न ही उन्हें पढ़ा पा रही है। उसकी बेटियां अब शादी की उम्र की हो गई हैं। वह उनकी शादी को लेकर चिंतित है। जब वह पैसे लेने के लिए जिले में जाती है तो अधिकारी कहते हैं कि अभी सरकार के पास पैसे नहीं हैं। पैसे आने पर उसके खाते में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे।
सीईओ ने कहा गलती हुई
भैंसदेही जिले के सीईओ जितेंद्र ठाकुर ने दैनिक भास्कर को बताया कि बेटी सुनीता के लिए राशि स्वीकृत हो गई थी। लेकिन उनके पूर्ववर्ती की गलती के कारण यह राशि किसी अन्य हितग्राही के खाते में ट्रांसफर हो गई। वह भी पात्र हितग्राही है। अब सुनीता के लिए सरकार से मांग की गई है। यह राशि मिलते ही उसे दे दी जाएगी। श्रम विभाग को भेजे गए पत्र में भी इसका उल्लेख किया गया है।
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