Betul Ki Khabar/भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैंसदेही मां पूर्णा के उद्गम स्थल काशी तालाब में मां पूर्णा का 35वां वार्षिक महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर काशी तालाब में मां पूर्णा के उद्गम स्थल पर अभिषेक और हवन पूजन करके माता की आरती की। इसके बाद भंडारे का आयोजन हुआ। यहां महोत्सव की शुरुआत 19 मार्च को जगद्गुरु संत तुकाराम महाराज की गाधा पारायण से हुई थी। दरअसल भैंसदेही से निकलकर महाराष्ट्र में बहने वाली मां पूर्णा की महिमा का बखान जन-जन तक पहुंचाने का कार्य महाराष्ट्र के लोगों द्वारा किया जा रहा है। महोत्सव को लेकर महाराष्ट्र से डिंडी यात्रा निकलती है, जो पंढरपुर से होते हुए भैंसदेही आती है। इस बार भी 26 मार्च को मां पूर्णा की चरण पादुका की शोभा यात्रा नगर के मुख्य मागों से निकाली गई। काशी तालाब पर मां पूर्णा मंदिर में भजन कीर्तन देर रात तक जारी रहा।
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भजनों के माध्यम से माता पूर्णा की महिमा का बखान किया। इस मौके पर हुए भंडारे में महाराष्ट्र और प्रदेश के लोग शामिल हुए। पूर्णा उद्गम स्थल मंदिर समिति के सदस्य दिनेश महाले और अंकित छत्रपाल ने बताया भैंसदेही के वराह वदन गिरी से निकलकर महाराष्ट्र की ओर मां पूर्णा ने गमन किया है। माना जाता है सरल कोटी (सात् करोड़) ऋषियों ने बराह पर्वत को खोज कर कोर का स्वरूप दिया। इसी खोरे से मा पयोष्णी पूर्णा का उद्गम हुआ है। उद्गम स्थल का प्राकृतिक सौंदर्य को देखते ही बनता है। काशी तालाब के बगल में खोरे के समीप ही मां काली एवं गणेश जी का मुख चट्टान पर पूर्णा माता का भव्य मंदिर है।