आमला ब्लाक में कथाकथित दो सैकड़ा झोलाछाप एक्टिव
Betul Ki Khabar / आमला :- कथाकथित झोलाछाप डॉक्टरों की जांच के निर्देशों के बाद भी कार्रवाही शुरू नहीं हुई है। यहीं वजह है कि आमला शहर में दो दर्जन से अधिक कथाकथित झोलाछाप डॉक्टर खुलेआम मरीजों का उपचार कर रहे है। इनमें से अधिकांश कथाकथित डॉक्टर स्वास्थ्य विभाग में पंजीकृत तक नहीं हैं। ऐसे डॉक्टरों की जांच के निर्देश लोक स्वस्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने सभी कलेक्टरों और सीएमएचओ को दिये है, फर्जी चिकित्सकीय डिग्री, सर्टिफिकेट का प्रयोग कर चिकित्सकों के रूप में अमानक चिकित्सा पद्धतियों से रोगियों का उपचार कर रहे है और एलोपैथिक पद्धति की औषधियों का उपयोग करते है, जो मरीजों के लिए प्राणघातक भी सिद्ध हो सकता है। आयुक्त के निर्देश के बाद आमला एसडीएम शैलेन्द्र बडोनिया ने खंड चिकित्सा अधिकारी आमला, तहसीलदार आमला, नायब तहसीलदार बोरदेही और थाना प्रभारी की समिति बनाकर जांच के निर्देश दिये है। लेकिन आमला ,बोडखी, में यह कार्रवाही शुरू तक नहीं हुई, जबकि बिना डिग्री वाले यह डॉक्टर बेपरवाह होकर अपने क्लीनिक संचालित कर रहे हैं। फिर भी विभाग चेतने का नाम नहीं ले रहा है।
कथाकथित डॉक्टरों के पास हर मर्ज का इलाज …
मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीडि़त हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खासबात यह है कि आमला के आस पास इलाज करने वाले अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 35 से 40 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसे आनन फानन में अस्पताल या बडे-बड़े शहरों में इलाज के लिए भेज देते हैं। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जाता है। इनके पास क्लीनिक के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। जिसका उदाहरण पिछले कुछ महीने पहले बीएमओ आमला द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर की गई कार्रवाही में सामने भी आ चुका है।
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मौसमी बीमारियों का उठाते है फायदा …
इन दिनों मौसमी बीमारियों का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। अचानक मौसम में बदलाव के कारण उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 200 से 300 रुपए तक होती है। मनमानी फीस वसूलने के बाद जब मरीज की हालत बिगड़ जाती है तो यह डॉक्टर हाथ खड़े कर लेते हैं। इसके चलते मरीज की हालत और खराब हो जाती है। जिसका कारण यह है कि दवाइयों के खर्च के साथ समय भी अधिक बढ़ जाता है और मरीज को ठीक होने में लंबा समय लगता है।
इनका कहना है –
बिना डिग्री के जो व्यक्ति (चिकित्सक) मरीजों का इलाज कर रहे है, उन पर कारवाई के आदेश शासन स्तर से मिले है। मेरे द्वारा समिति बनाकर जांच और कार्रवाई के आदेश दिए है।
- शैलेंद्र बडोनिया, एसडीएम, आमला
कल ही झोलाछाप डॉक्टरों के क्लिनिको की जांच करने के लिए बीएमओ आमला को निर्देश दिए गए है। जल्द ही जांच शरू हो जाएगी। जिनके पास डिग्री नही है, उनके क्लिनिक सील करने की कारवाई की जाएगी।
- डॉ रविकांत उइके, सीएचएमओ बैतूल