सोयाबीन की जगह रिकॉर्ड में चढ़ाई मक्का — 7 दिन में सुधार नहीं हुआ तो होगा आंदोलन
Betul Ki Khabar(मनीष राठौर):- मध्यप्रदेश के बैतूल ज़िले में किसानों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि उन्हें भावान्तर योजना के लाभ से वंचित कर गुमराह किया गया है। किसानों का कहना है कि सरकार द्वारा घोषित भावान्तर योजना के तहत जब वे अपनी सोयाबीन फसल का पंजीयन कराने पहुँचे, तो उनके खेतों की वास्तविक फसल की जगह मक्का दर्ज कर दी गई। इसके चलते उनका पंजीयन पोर्टल पर नहीं हो सका और वे योजना से बाहर रह गए।फसल रिकॉर्ड में गड़बड़ी, योजना से वंचित किसानजानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद किसान अपने-अपने क्षेत्रों की सोसायटियों में जाकर सोयाबीन फसल के लिए पंजीयन करवाने पहुँचे थे। जब ऑनलाइन पंजीयन नहीं हुआ, तो किसान तहसीलदार कार्यालय पहुँचे, जहाँ उन्हें पता चला कि सभी किसानों के रिकॉर्ड में सोयाबीन की जगह मक्का अपलोड कर दी गई है।
किसानों का कहना है कि उनके खेतों में अभी भी सोयाबीन की फसल खड़ी है, जो अतिवृष्टि के कारण बुरी तरह से खराब हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई सर्वे नहीं हुआ। इसके बावजूद पटवारियों और बाबुओं ने बिना जांच के गलत प्रविष्टियाँ कर दीं।प्रशासन पर लापरवाही और भेदभाव के आरोपकिसानों ने बताया कि शिकायत करने पर तहसीलदार मौके पर मौजूद नहीं थे। इसके बाद सैकड़ों किसान कलेक्टर कार्यालय, बैतूल पहुँचे और कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा। किसानों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि शासन ने झूठे रिकॉर्ड बनाकर उन्हें योजना के लाभ से जानबूझकर वंचित किया है।
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किसानों के अनुसार, यह स्पष्ट प्रशासनिक लापरवाही और भेदभावपूर्ण रवैया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि 7 दिन के भीतर रिकॉर्ड सुधार नहीं किया गया, तो वे धरना, आमरण अनशन और उग्र आंदोलन शुरू करेंगे।मेंढा जलाशय के लाभ से भी वंचित किसानकिसानों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें मेंढा जलाशय का सिंचाई लाभ भी नहीं दिया जा रहा है, जबकि उसी क्षेत्र के अन्य लाभार्थियों को इसका फायदा मिल रहा है। किसानों का कहना है कि इस तरह के अन्यायपूर्ण कदमों से खेती किसानी और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।कार्रवाई की मांग और प्रशासन की प्रतिक्रियाकिसानों ने कलेक्टर से मांग की है कि जिम्मेदार पटवारियों और संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए तथा सही फसल प्रविष्टियों को सुधारा जाए ताकि भावान्तर योजना का वास्तविक लाभ मिल सके।
अब नज़रों में है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले में क्या कदम उठाता है, या फिर किसानों की चेतावनी के बाद स्थिति मैदान में आंदोलन की ओर बढ़ेगी।