रविवार से प्रारंभ हो सकता है ताप्ती मेला
Betul Ki Khabar/मुलताई। विगत 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से पवित्र नगरी में मेला चालू हो जाना था लेकिन नौ दिन बाद अब मेले में एक तरफ के झूले टेस्टिंग के बाद चालू किए गए हैं। इधर दो तरफ के झूलों की फिटिंग अभी चालू है जिससे रविवार तक सभी झूले प्रारंभ हो सकते हैं। मेले का मुख्य आकर्षण झूले होते हैं तथा झूले प्रारंभ होने के बाद ही नगर सहित ग्रामीण अंचलों से लोग मेले में पहुंचते हैं जिसके साथ साथ अन्य खरीदारी भी करते हैं। मेले में इस बार तीन तरफ झूले लगाए जा रहे हैं तथा बीच में दुकानों को जगह दी गई है। हालांकि गुरूवार तक दुकानों के शेड तो लग चुके हैं लेकिन दुकानें चालू नही हो पाई है। रविवार साप्ताहिक बाजार से संपूर्ण मेला प्रारंभ हो सकता है। मेले में अन्य व्यवस्थाओं के साथ ही विद्युत कनेक्शन हो चुके हैं इसके बावजूद व्यापारियों ने अभी तक दुकानों में माल नही भरा है। कुछ दुकानदारों द्वारा गुरूवार साप्ताहिक बाजार होने से इस उम्मीद से माल भरकर दुकानें प्रारंभ कर ली गई थी कि ग्राहकी होगी लेकिन नाममात्र की दुकानें रहने से ग्रामीण अंचलों से मेलास्थल पहुंचे लोग निराश हुए। बताया जा रहा है कि अधिकांश ग्रामीण मेला स्थल पहुंचकर मेला प्रारंभ नही होने से वापस हुए। इधर एक तरफ के झूले कंप्लिट होकर चालू हो चुके हैं लेकिन दो तरफ के झूलों का लगना चालू है जिसके बाद तीनों तरफ के झूलों के चालू होने से मेले में रौनक बढ़ सकती है। बताया जा रहा है कि इस वर्ष कुछ नई स्टाईल के झूले आने से बच्चों तथा युवा वर्ग में झूलों को लेकर उत्साह बना हुआ है।
एक सप्ताह तक दुकानें नही लगाने वालों की दुकानें होना चाहिए कैंसिल
ताप्ती मेले में कार्तिक पूर्णिमा के पहले से ही नगर पालिका द्वारा प्लाटों का आबंटन किया जाना शुरू हो जाता है। इसके बावजूद लगभग 12 से 15 दिन बाद मेले में संपूर्ण दुकानें लगती है। बताया जा रहा है कि कार्तिक पूर्णिमा के बाद जगह जगह दो से तीन दिनों के लगने वाले मेलों में दुकानें लगाने के बाद व्यापारी लगभग 10 से 15 दिनों के बाद मुलताई मेला पहुंचते हैं तब तक दुकानें खाली पड़ी रहती है। जागरूक नागरिकों ने बताया कि व्यापारियों के द्वारा प्लाट लेने के बाद दुकानें नही लगाई जाती है या शेड बनाकर छोड़ दिया जाता है जिससे बाहर से आने वाले व्यापारी उचित स्थान नही मिलने से परेशान होते रहते हैं। इसलिए नगर पालिका द्वारा एक सप्ताह तक दुकानें नही लगाने वाले व्यापारियों की दुकानें कैंसिल कर जो उपलब्ध है उन व्यापारियों को दुकानें आबंटित कर देना चाहिए ताकि समय से मेला लग सके।
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मेला लगने का हो रहा बेसब्री से इंतजार
ग्रामीण अंचलों में मुलताई मेले को लेकर खासा उत्साह रहता है तथा प्रतिवर्ष पूरे क्षेत्र सहित अन्य शहरों के आसपास के भी ग्रामीण अंचलों से लोग मेला पहुंचते हैं। लेकिन प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के लगभग 15 दिनों के बाद मेला लगता है जिससे लोग मेलास्थल पहुंचकर वापस होते हैं। मुलताई में कार्तिक पूर्णिमा के 9 दिनों के बाद भी मेला लगने में अभी तीन से चार दिन लग सकते हैं जिसके लिए लोग मेला लगने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। मेले में झूला झूलने, आईस्क्रीम खाने तथा विभिन्न व्यंजन खाने का अपना अलग ही मजा होता है जिसे लेकर ग्रामीण अंचलों के लोगों में खासा उत्साह रहता है इसलिए मेला लगने का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है जिसके बाद प्रतिदिन ग्रामीण अंचलों से बड़ी संख्या में लोग मेलास्थल पहुंचेगें।

