मासोद में दो दिवसीय सत्संग समारोह का समापन
Betul Local News / मुलताई :- साधु संत अपने लिए कभी नहीं जीते वे तो परमार्थ के। राह पर चलते हुए भक्ति की अविरल निरंतर धारा प्रवाहित करते हुए समाज उत्थान का कार्य करते है। संतों का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए इसलिए जीते जी ऐसा काम करो कि संसार छोड़ने के बाद आत्मा का परमात्मा से मिलन होकर हमें मोक्ष मिल जाए सत्संग का यही सार है।
उक्त आत्म कल्याणकारी प्रवचन नागपुर से पधारी शुभाबाई जी ने मासोद के साई मंदिर प्रांगण में चल रहे दो दिवसीय संगीतमय सत्संग समारोह के समापन पर दिए। कार्यक्रम के तहत सतपाल महाराज के शिष्य महात्मा भावनानंद जी ने भी अमृत वचन कहते हुए बताया कि भक्ति तो सांसारिक जीव करते हैं लेकिन हमें आंतरिक भक्ति करने की आवश्यकता है । त्रिवेणी बाहर नहीं हमारे अंदर है जिसे जानने के लिए सद्गुरु की शरण में जाना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राम भक्त चिंतामणि सुंदर राम हमारे अंदर है हृदय में है उसे जानना होगा सतगुरु की कृपा से हमें यह ज्ञान प्राप्त होगा। इस अवसर पर साध्वी कोमुदी बाई जी ने श्री राम कथा पर आधारित प्रवचनो मे लेलो रे कोई राम का प्याला आवाज लगाए गली गली सुमधुर भजन से जनसमुदाय को भाव विभोर किया। महात्मा सोम्यानंद जी ने कहाँ की आये हैँ सो जायेंगे राजा रंक फ़क़ीर एक सिंहासन चल पड़ा एक बंधा जाय जंजीर, उन्होंने कहाँ यह शरीर क्षण भंगूर है हमें परम ज्ञान को जानना होगा तभी हमारा मानव तन सफल होगा।
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शोभा यात्रा निकली
मासोद में साई मंदिर प्रांगण मे चल रहे आध्यात्मिक सत्संग समारोह के समापन पर एवं साई समिति द्वारा साई बाबा की प्राण प्रतिष्ठा की नवमी वर्ष गांठ पर साई बाबा की शोभायात्रा निकाली गई। साई मंदिर मे चल रहे आध्यात्मिक सत्संग समारोह के समापन पर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया । जिसमे गणमान्य नागरिक सहित जिले से अनुयाई शामिल होकर साध्वी महात्माओं के आत्म कल्याणकारी अमृत वचनों का आत्मसात किया ।