बोडखी से हवाई पट्टी सडक़ पर 3-4 फीट लंबे-चौड़े गड्ढे
Betul News / आमला :- शहर की सडकों की हालत खराब है। सडकों पर जगह-जगह गड्ढे हो गये है। लगातार आवागमन से इन सडक पर गड्ढों का आकार बढ़ता जा रहा है और सडके बदहाल होती जा रही है। सबसे खराब स्थिति बोडख़ी से हवाई पट्टी की सडक़ की है। खासकर बोड़खी हीरो शोरूम ओर होंडा शोरूम के सामने, एचडीएफसी बैंक के पास,हवाई पट्टी सहित अन्य स्थानों पर बड़े-बड़े हो गये है। इनकी लंबाई-चौड़ाई 3-4 फीट है। इन्हें बारिश के पहले भरा तक नहीं गया। जिससे अब इन गड्ढों का आकार बड़ा होते जा रहा है। दरअसल यह सडक़ केन्द्रीय निधि से एक साल पहले ही बनी थी। लेकिन सडक़ निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा गया और सडक़ सालभर में ही खराब हो गई। यही वजह है कि सडकों को लेकर जनता की परेशानी खत्म नहीं हो रही है। रात के समय वाहन चालकों की परेशानी और बढ़ जाती है। जब अचानक गड्ढा सामने आने से वाहनों का संतुलन बिगड़ जाता है और चालक गिरकर चोटिल हो जाते है। वाहनों को भी नुकसान पहुंच रहा है। लोगों का कहना है कि विभाग को कम से कम गड्ढों की मरम्मत ही करवा देना चाहिए, ताकि सडक आवागमन लायक बन सके। किन्तु आमजनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही। परिणाम स्वरूप आमजनता को इसी जर्जर और क्षतिग्रस्त सडक पर आवागमन करना पड़ रहा है। रवि साहू ने बताया कि बारिश में गड्ढे दिखाई नही देते है उनके साथ सड़क के गड्ढे में वहान का चक्का चले जाने से गड्ढे में गिर गए जिससे उनको सिर पर गहरी चोट आई थी,इसके बाद भी सड़क का सुधार नही हो रहा है।
बारिश के पहले नहीं की सडक़ों की मरम्मत …
बारिश पूर्व सडकों का मेंटनेंस नहीं किया जाता है। जिसकी वजह से बारिश में सडक़े और ज्यादा खराब हो जाती है। अधिवक्ता राजेन्द्र उपाध्याय का कहना है कि जर्जर सडकों से राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बड़े-बड़े गड्ढों में तब्दील हो चुकी सडकें वाहनों की दुर्दशा तो कर ही रही हैं, साथ ही लोगों के शरीर व स्वास्थ्य पर भी बुरा असर कर रहीं हैं। इन बदहाल सडकों पर मोटर साइकिल दौड़ाने वालों में कमर दर्द की बीमारी जन्म लेने लगी है। सडकों पर उखड़ी पड़ी गिट्टियां बड़ें वाहनों के पहियों के दबाव से उछलकर लोगों को घायल कर रही हैं। वाहनों को भी नुकसान पहुंचा रही हैं। बड़े-बड़े व गहरे गड्ढों के कारण लोग दुर्घटनाओं का भी शिकार बन रहे हैं। अन्य विकल्प नहीं होने से लोग इसी खस्ताहाल सडक पर चलने को विवश हैं।
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सडक़ों की हालत के लिए अधिकारी जिम्मेदार…
शहर की सडक़ों की खराब हालत के लिए जितने जिम्मेदार ठेकेदार है, उतने ही जिम्मेदार विभागीय अधिकारी भी है। जो निर्माण के वक्त सडक़ो की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते है। वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि सडक़ के निर्माण के लिए मापदंड तय रहते है और इन मापदंडो का पालन कर सडक़ बनाई जाती तो कम से कम पांच साल सडक़ों को मेंटनेंस की जरूरत नहीं रहती, किन्तु ठेकेदार की लापवाही के कारण सडक़े साल भर में ही खराब हो जाती है। जनता परेशान होती है और जनप्रतिनिधि ध्यान भी नहीं देते है। जिससे लोगों को सडक़ों की अच्छी सुविधा तक नहीं मिल पा रही है।