नपा अधिकारी नहीं कर रहे निर्माण कार्य की जांच, लोगों में नाराजगी
Betul News / आमला :- संजीवनी क्लिनिक के निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है। जिससे लोगों में नाराजगी है। लोगों का आरोप है कि निर्माण में ठेकेदार के मनमुताबिक काम हो रहा है। नगरपालिका के अधिकारी भवन निर्माण की जांच तक नहीं कर रहे है। यह भी नहीं देखा जा रहा है कि कौन से सीमेंट, रेत और सरिया का इस्तेमाल हो रहा है। इससे भवन की मजबूरी पर लोगों ने सवाल खड़े किये है। दरअसल शहर के वार्ड क्रमांक 17 में टेकड़ा स्कूल के समीप 25 लाख की लागत से संजीवनी क्लिनिक का निर्माण हो रहा है। इसमें मापदंडो की अनदेखी और गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। भवन में जो सीमेंट, रेत लगाई जा रही है, उसकी गुणवत्ता ठीक नहीं है। नाले की रेत से भवन बन रहा है। सीमेंट की क्वालिटी भी बेहतर नहीं है। जबकि जानकारों की माने तो भवन निर्माण के लिए तीन क्वालिटी का सीमेंट इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें 43 ग्रेड के सीमेंट से जुड़ाई और 53 ग्रेड के सीमेंट से प्लास्टर होना चाहिए। जिससे भवन की मजबूती कायम रहती है, किन्तु संजीवनी क्लिनिक निर्माण में इन मापदंडो का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। जिससे लोगों में निर्माण को लेकर आक्रोश दिख रहा है।
घटिया रेत-सीमेंट का इस्तेमाल …
संजीवनी क्लिनिक में घटिया किस्म की रेत और सीमेंट के उपयोग का आरोप लोगों ने लगाया है। लोगों का आरोप है कि ठेकेदार नाले की रेत का इस्तेमाल कर निर्माण में धांधली बरत रहा है। लोगों का कहना है कि संजीवनी क्लिनिक में दिनभर भीड़ रहेगी। लोगों का आना-जाना रहेगा, ऐसे में इस भवन का मजबूत होना बेहद आवश्यक है, लेकिन जिस तरह ठेकेदार लापरवाही पूर्वक निर्माण कर रहा है, उससे यहीं लग रहा है कि नगरपालिका अधिकारियेां ने ठेकेदार को निर्माण में मनमानी की पूरी छूट दे रखी है, अन्यथा घटिया निर्माण किये जाने के बावजूद कार्रवाही न होना, यह भी समझ से परे दिख रहा है।
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नगरपालिका अधिकारी नहीं कर रहे जांच …
जिस तरह ठेकेदार लापरवाही पूर्वक निर्माण कर रहा है, उससे यहीं लग रहा है कि नगरपालिका अधिकारियों ने ठेकेदार को निर्माण में मनमानी की पूरी छूट दे रखी है।अधिवक्ता पं राजेन्द्र उपाध्याय ने बताया कि भवन की न तो ठीक से तराई हो रही है और न ही सही अनुपात में सीमेंट मिलाया जा रहा है। नगरपालिका के उपयंत्री भी कभी कभार निर्माण का अवलोकन कर औपचारिकताएं पूर्ण कर लेते है। जानकार बताते है कि जिस तरह ठेकेदार भवन बना रहा है, उससे भवन का कार्यकाल लंबे समय तक टिक पाना मुश्किल है। सामग्री के अलावा मापदंड और निर्माण के कुछ नियम भी होते है, जिसे भी ठेकेदार फॉलो नहीं कर रहा है। जिससे भवन की मजबूती पर प्रश्र लगने लगे है।