बोरदेही पंचायत में स्व. इंदिरा गांधी की प्रतिमा अतिक्रमण की चपेट में, जयंती पर भी नहीं कराई साफ-सफाई
अनदेखी: गंदगी व अतिक्रमण की जंजीरों में कैद होकर रह गई महापुरूषों की प्रतिमाएं
BETUL NEWS / आमला :- देश के लिए अपने प्राण निछावर करने वाले महापुरुषों की प्रतिमाएं वर्तमान समय में गंदगी व अतिक्रमण की जंजीरों में कैद होकर रह गई है। हालात यह है कि अलग-अलग जगह स्थापित महापुरुषों की प्रतिमाएं गंदगी, जलभराव व अतिक्रमण से जूझ रही हैं। लेकिन अभी तक प्रशासन ने इनकी कोई सुध नहीं ली है और ना ही साफ-सफाई की कोई व्यवस्था की गई है। संदीप वाइकर ने बताया कि ग्राम पंचायत बोरदेही में स्व. इंदिरा गांधी की प्रतिमा लगाई गई हैं। इनकी देखरेख के प्रति उदासीनता के कारण यह प्रतिमा दुर्दशा और अतिक्रमण की शिकार हैं। सबसे खासबात यह है कि स्व. इंदिरा गांधी जी की जयंती पर भी पंचायत ने प्रतिमा और आसपास सफाई तक नहीं कराई और न ही पुरानी माला हटाकर कोई कार्यक्रम किया। यहां स्थिति यह थी कि प्रतिमा नीचे से ऊपर तक धूल से सनी हुई हैं, लेकिन स्व. इंदिरा गांधी की जयंती पर पंचायत ने सफाई या रंगरोगन तक नहीं कराया, जो महापुरूषो के अपमान समान है।
महापुरूषों को सम्मान देने स्थापित की है प्रतिमाएं …
देश हित और महापुरूषों को सम्मान देने के उद्देश्य से जगह-जगह महापुरुषों के स्मारक बनवाए गए, ताकि देश हित और देश के लिए मर मिटने वालों की यादें जीवंत रहे। आमला ब्लाक में भी कई महापुरूषों की प्रतिमाएं पंचायतों में स्थापित है। जहां राष्ट्रीय पर्व-त्योहार पर ही लोग जाते थे और उनकी प्रतिमा पर फूलमाला चढ़ाकर नमन करते थे। लेकिन अब धीरे-धीरे महापुरूषों के बलिदान और उनके द्वारा देश हित में किये गये कार्यो को लोग भूलने लगे है। यहां तक कि पंचायतें भी जयंती, बलिदान दिवस पर कोई कार्यक्रम या श्रद्धांजली अर्पित नहीं करती है। जिससे इन महापुरूषों से प्रेरणा लेने वाले लोगों में नाराजगी बनी हुई है।
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अतिक्रमण की चपेट में प्रतिमा स्थल …
बोरदेही पंचायत में प्रतिमा स्थल तो बना दिया गया, पर उदासीनता के कारण प्रतिमा स्थल पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है। प्रतिमा स्थल के चारों ओर दुकानें सजती है, उसे कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। इससे स्व. इंदिरा गांधी जी की प्रतिमा स्थल भी अतिक्रमण का शिकार है। लेकिन इससे न तो पंचायत को कोई लेना-देना है और न ही प्रशासन को, प्रशासन जैसे इन प्रतिमाओं को स्थापित कर भूल ही गया है। केवल राष्ट्रीय पर्व त्योहारों पर ही स्मारक की सुध ली जाती है। अब सवाल उठता है कि आजादी के दीवाने को कैसा सम्मान और कैसी श्रद्धांजलि दी जा रही है। इसके लिए सरकार, शासन-प्रशासन और समाज को इस दिशा में जागरूक होने की जरूरत है।