जून की चिलचिलाती धूप मे पानी के लिये भटकते ग्रामीण – ग्राम केरपानी ( कोरकूढाना )

By betultalk.com

Published on:

Follow Us

भैंसदेही (मनीष राठौर) :- बैतूल जिले के कई आदिवासी गावों की तकदीर और तस्वीर आज भी बदल नही पाई नतीजतन वे आज भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा से जूझ रहे है। सरकार का प्रयास है की प्रत्येक घरों तक नल से शुद्ध पानी पहुंचे। लेकिन पीएचई विभाग की लाचार व्यस्था शासन की इस व्यस्था को मुंह चिढ़ा रही है। विकासखंड भैसदेही की बड़ी ग्राम पंचायत केरपानी के कोरकू ढाना एवं गोंडी ढाना पहाड़ी पर बसे दोनों ढाना मिलाकर लगभग एक हजार की आबादी वाले ग्राम केरपानी की। गांव के आदिवासी बीते 2 माह से पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे है गांव में पीने के पानी के लिए हेडपंप लगे है सभी बंद पड़े है।नलजल योजना का बोरवेल मार्च के बाद वाटर लेवल कम हो जाता है जिससे नल जल का पानी सिर्फ नीचे मोहले को ही मिल पाता है।

इसकी जानकारी पीएचई विभाग के अधिकारी अखिलेश बड़ोले को एक वर्ष पूर्व से दे दिया गया है एवं ग्राम पंचायत केरपानी के द्वारा नये बोर खनन के लिये दो दो बार प्रस्ताव भेजा गया । लेकिन उनके द्वारा इस जल समस्या का निवारण के लिए स्थाई व्यवस्था की दृष्टि से कोई उचित कार्य नहीं किया गया। सिर्फ ग्रामीणों को भ्रमित करने का कार्य किया गया।फिर इस वर्ष भी जब पानी की समस्या हुई तो ग्रामीणों के द्वारा उनसे संपर्क करने पर उनके द्वारा कहा गया कि पाइंट देख लीजिये बोर करवा देंगे लेकिन पाइंट दिखाने के बाद आज आएगी मशीन कल आयेगी मशीन लेकिन लास्ट में जब उनसे ग्रामीणों द्वारा सही जवाब मांगे जाने पर कहा गया की 600 फिट बोर कर देते है जबकि उन्हें पता है कि केरपानी पहाड़ी पर बसा हुवा है यहा वाटर लेवल या पानी की संभावना 600 के बाद ही है और उनके द्वारा शासन की योजना को पलीता लगाने के लिए फार्मलेटी निभाने की बात की गई।

जी की उनकी कार्य प्रणाली को दर्शाता है। और अंत में उनके द्वारा कहा गया कि ग्राम केरपानी के खाते में पैसा नहीं है यहां बोर नही हो सकता। ए कार्य प्रणाली है पीएचई अधिकारी का इस कारण ग्राम में घर के सामने नल तो है लेकिन नल में पानी नही। ग्राम पंचायत भी इस समस्या से अनजान नही है फिर भी लोग इस अव्यस्था से पानी जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है । ग्रामीण सल्क्या बारस्कर , गोविन्द चड़ोकार रामकली बाई ठाकरे ठुमाय बाई कानेकर मंगला बाई चड़ोकार एवं ग्रामीण जन वे गांव से प्रतिदिन एक किलोमीटर दूर कहि पंचायती कुवे , कही निजी कुवे में छोटे बच्चों को कुवे में उतार कर लोटे या डब्बे से बाल्टी में डालकर पानी निकाल कर पानी भरते है और लेकर आते है। गांव में हर बार मार्च के बाद पानी के लिये 3 माह भटकना पड़ता है। इस समस्या से पीएचई विभाग एवं ग्राम पंचायत कोई भी अनभिज्ञ नही है। परंतु इस गांव में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी नही पहुंचते पीने के पानी की स्थाई व्यस्था नही करते ग्रामीण बेहद नाराज है अतः जिला प्रशासन से हम ग्रामीण जन निवेदन करते है कि केरपानी के कोरकू ढाना एवं गोंडी ढाना के लिये पेयजल का कोई स्थायी व्यवस्था कर पानी जैसे मुलभुत सुविधा प्रदान करने की कृपा करे।

Leave a Comment