शिवमहापुराण कथा के समापन दिवस पर शिवजी की करुणा, ज्ञान और तपस्वी स्वरूप का हुआ अलौकिक वर्णन

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BETUL NEWS/भैंसदेही (मनीष राठौर) :- डोडा पोखरनी ग्राम डोडा पोखरनी में चल रही शिवमहापुराण कथा के समापन दिवस पर मंडलेश्वर से पधारी सुश्री दीदी चेतना भारतीजी द्वारा भगवान शिव के करुणामयी और ज्ञानस्वरूप व्यक्तित्व का गहन वर्णन किया गया। कथा के साथ-साथ श्रद्धालुओं ने शिवजी के जीवन दर्शन को आत्मसात करते हुए भक्ति, सेवा और साधना की प्रेरणा प्राप्त की।

दीदी जी ने शिव को “आदियोगी”, “महातपस्वी” और “लोककल्याणकारी” ईश्वर बताते हुए कहा—
“शिव केवल पूजनीय नहीं, बल्कि जीने की एक शैली हैं। वे सृष्टि का मौन केंद्र हैं, जहां सब समाप्त होता है, और वहीं से सब प्रारंभ होता है।”

कथा में नीलकंठ स्वरूप, शिव का समुद्र मंथन में विषपान, भस्मासुर वध और अर्धनारीश्वर रूप जैसे गूढ़ प्रसंगों का वर्णन हुआ। दीदी जी ने बताया कि जब देवता और दैत्य भी असमंजस में पड़ जाते हैं, तब शिव निःस्वार्थ भाव से विष को गले में धारण कर समस्त संसार की रक्षा करते हैं। यह प्रसंग शिव की त्यागमयी महिमा को दर्शाता है।

भस्मासुर वध के प्रसंग में उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिव अंततः अपनी लीला द्वारा अहंकारी शक्तियों को भी पराजित करते हैं और सच्चे भक्तों का कल्याण करते हैं। अर्धनारीश्वर रूप ने शिव और शक्ति की एकता को दर्शाया, जहाँ यह बताया गया कि बिना शक्ति के शिव और बिना शिव के शक्ति अधूरी है।

सभी श्रद्धालु शिव तत्व में लीन हो गए। दीदी चेतना भारतीजी ने शिव भक्ति के माध्यम से जीवन को शांतिपूर्ण, स्थिर और प्रेममय बनाने का संदेश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि शिव साधना हमें भीतर की चंचलता को समाप्त कर आत्मिक शांति प्रदान करती है।

कथा के उपरांत शिव स्तुति, महाआरती और प्रसादी का आयोजन किया गया। भजनों की गूंज, ढोल-नगाड़ों की ताल और भक्तों के भावों ने डोडा पोखरनी को शिवमय बना दिया।

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