BETUL NEWS: RSS शताब्दी वर्ष पर भैंसदेही में भव्य पथ संचलन

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                                                           मां पूर्णा नगरी में अनुशासन और एकता का प्रदर्शन

BETUL NEWS/भैंसदेही :- भैंसदेही में ऐतिहासिक आयोजनराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्र साधना के 100 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में शताब्दी वर्ष उत्सव के अंतर्गत रविवार को भैंसदेही में भव्य पथ संचलन आयोजित किया गया। इस संचलन की शुरुआत मां पूर्णा की पावन नगरी में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर से हुई।भैंसदेही और चिचोलीढाना मंडल के विभिन्न ग्रामों से आए लगभग चार सौ स्वयंसेवकों ने घोष की ताल पर अनुशासित कदम बढ़ाकर नगरवासियों को संघ की अनुशासित एवं संगठित छवि का परिचय कराया। नगर के नागरिकों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर और जयघोष के साथ इस संचलन का स्वागत किया।

पंच परिवर्तन से समाज परिवर्तनमुख्य वक्ता, विभाग सह सेवा प्रमुख अभिषेक खंडेलवाल ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा—
“राष्ट्र केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति का जीवंत स्वरूप है।”
उन्होंने संघ की स्थापना से लेकर सौ वर्षों की यात्रा को 25-25 वर्ष के चार कालखंडों में बताते हुए संगठन के विकास, विविध सामाजिक संगठनों के योगदान और समाज विरोधी गतिविधियों से जुड़े मुद्दों पर भी प्रकाश डाला खंडेलवाल ने पंच परिवर्तन (सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण, स्व का बोध और नागरिक कर्तव्य) के विषय में विस्तार से चर्चा करते हुए स्वयंसेवकों से इन क्षेत्रों में सक्रिय योगदान देने और संकल्प लेने का आव्हान किया।जनप्रतिनिधियों और संगठनों की सहभागिताइस भव्य आयोजन में क्षेत्रीय विधायक महेन्द्रसिंह चौहान नगर मंडल के कार्यकर्ताओं के साथ पूर्ण गणवेश में उपस्थित रहे।

नगर में स्वागत व्यवस्था का दायित्व अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने संभाला

स्वागत के दौरान नगर के आधा सैकड़ा से अधिक स्थानों पर जयघोष, फूलों की वर्षा और विभिन्न सामाजिक संगठनों के सक्रिय सहयोग से संचलन को जनसमर्थन मिला। महिलाओं, छात्राओं और विभिन्न सामाजिक वर्गों की भागीदारी ने आयोजन को और भी भव्य बनाया।विशेष अतिथि और आयोजन समितिकार्यक्रम में मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त शिक्षक अरुण जैन, जिला सहसंघचालक खेमराज डदोरे, खंड संघचालक ताप्तीप्रसाद चंदेल के साथ भैंसदेही खंड एवं नगर के दायित्वान कार्यकर्ता और सैकड़ों स्वयंसेवक उपस्थित रहे।यह आयोजन न केवल अनुशासन और संगठन की मिसाल पेश करता है, बल्कि सामाजिक समरसता और राष्ट्रभक्ति के संदेश को भी जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बना।

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