सरकार के सख्त नियम, 10 बजे पहुंचे ऑफिस, लेकिन शहर में नहीं हो रहा पालन
Betul News / आमला :- सरकार ने सभी शासकीय,अधिकारियों-कर्मचारियों को समय पर दफ्तर पहुंचने के आदेश जारी किये थे, इन आदेशों के बाद कुछ दिन व्यवस्था पटरी पर रही, लेकिन अब फिर अधिकारियों-कर्मचारियों ने पुराने ढर्रे के अनुसार ही दफ्तर पहुंचना शुरू कर दिया है। कर्मचारी 11 बजे के बाद दफ़्तर परिसर में नजर आते है, तो कोई 12 बजे, जबकि प्रदेश सरकार ने सभी शासकीय कार्यालय में कार्यालयीन समय दस बजे का समय तय है, किन्तु सरकारी कर्मचारियों ने आदेश की नाफरमानी शुरू कर दी। सुबह 10 बजे शासकीय कार्यालयों की कुर्सियां खाली ही नजर आती है। नगरपालिका हो या अन्य शासकीय कार्यालय, सभी ही हालत एक सी है। रोजाना की तरह दफ्तर आने को लेकर कर्मचारियों का रवैया 11-12 बजे के बाद पहुंचने का ही रहता है। कई कर्मचारी तो काम का बहाना करके जल्दी ही ऑफिसों से रफूचक्कर हो जाते है और लोगों को बेरंग लौटना पड़ता है। गौरतलब रहे कि जिला कलेक्टर द्वारा भी कर्मचारियों-अधिकारियों को समय पर दफ्तर पहुंचने के लिए निर्देश दिये जा चुके है, परंतु इन आदेशों का कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है।
समय पर करे लोगों के कार्य …
प्रदेश सरकार ने 26 जून 2024 को आदेश जारी कर सभी कर्मचारियों को सुबह 10 बजे दफ्तर पहुंचने और शाम 6 बजे तक ऑफिस में मौजूद रहने के आदेश गए थे। दरअसल सरकार का मानना था कि शासकीय कार्यालयों में कर्मचारी-अधिकारी समय पर दफ्तर नहीं पहुंचते है। यहीं वजह समय पर काम नहीं होने की भी बनती है। इन्हीं कारणों को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार ने सभी शासकीय कार्यालय में अधिकारियों-कर्मचारियों का समय पर आने और जाने का समय तय किया था। लेकिन कार्यालय में इस आदेश का कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। अधिकारी भी कर्मचारियों को समयानुसार आने के लिए बाध्य नहीं कर पा रहे है।
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अभी भी अपडाउन करते है कर्मचारी …
कर्मचारियों के समय पर दफ्तर नहीं पहुंचने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि कई कर्मचारी मुख्यालय पर नहीं रहते है। दूर-दूर से अपडाउन करते है। जिसके कारण वे समय पर दफ्तर नहीं पहुंच पाते है। कई कर्मचारी ऐसे है, जिनके पास विभागों की चॉबी रहती है। ऐसे कर्मचारियों के समय पर नहीं पहुंचने के कारण कार्यालय समय पर नहीं खुलते है और लोग कार्यालय पर ताला देखकर वापस लौट जाते है। यदि कार्यालय खुल भी जाता है तो अधिकारी-कर्मचारियों की कुर्सी खाली रहती है, जबकि लोग 10 बजे दफ्तर खुलते से ही अपनी समस्या लेकर पहुंच जाते है, लेकिन अधिकारी-कर्मचारी न होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।