Betul में श्मशान पर कब्जा से रोकने पर किया जानलेवा हमला

By betultalk.com

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Betul News :- बैतूल के पुनर्वास क्षेत्र चोपना में सरकारी जमीनों पर खेती के मामले विवादों की वजह बनते जा रहे हैं। एक सप्ताह पहले यहां पिटाई का एक मामले सामने आया था। ताजा मामला एक पूर्व सरपंच के पति और समाजसेवी की पिटाई का है, जिसे दबंगों ने इतना पीटा की उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उसने श्मशान की जमीन पर खेती करने से रोका तो दो दर्जन लोगों ने उसे बेहोश होने तक पीटा। घटना के दो दिन बाद भी कोई आरोपी पकड़ा नहीं जा सका है।

यह मामला गोपाल पुर का है। यहां पिछले 28 जून को गांव के कुछ दबंग श्मशान की सरकारी जमीन पर ट्रेक्टर लेकर जुताई करने पहुंच गए थे। ग्रामीणों ने यहां वर्तमान पंच और पूर्व सरपंच रही भागरती और उनके समाजसेवी पति अवनीश की अगुवाई में जब इसका विरोध करते हुए पुलिस बुलाई तो अतिक्रमण करने वाले भाग निकले। बता दें कि यह एक सप्ताह में अपनी तरह का दूसरा मामला है।

पंचपति की पिटाई, अस्पताल में भर्ती
घटना मंगलवार की है, जब पंचपति अवनीश अपनी आटा चक्की पर काम कर रहे थे। आरोप है कि मौके पर पहुंचे करीब दो दर्जन लोगों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी। उन्हें इतना पीटा कि वह बेहोश हो गए, जिसके बाद हमलावर भाग गए। भगरती और अवनीश ने बताया कि हमलावर उन्हें मारना चाहते थे। जब वह बेहोश हो गए तो उन्हें मरा समझकर भाग गए। जिस समय यह घटना हुई, उस समय गली में कई लोग हथियार लेकर खड़े थे। परिजन उन्हें गंभीर हालत में घोड़ाडोंगरी ले गए।

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जहां से उन्हें बैतूल रेफर कर दिया गया। पूर्व सरपंच ने आरोप लगाया कि पुलिस ने गंभीर मारपीट के मामले में सामान्य धाराओं में कार्रवाई की। जिसके चलते आरोपी अभी भी खुलेआम घूमकर लोगों को धमका रहे हैं। वे रेत माफिया और कबाड़ कारोबार से जुड़े हैं। एसपी निश्चल एन झारिया ने बताया कि मामले में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। पुराने मामलों में जमानत निरस्तीकरण और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई भी की जा रही है। गैर जमानती धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

तहसीलदार से की गई थी अतिक्रमण की शिकायत ग्रामीणों ने इस मामले में पिछले जून माह में तहसीलदार समेत कई अधिकारियों से अतिक्रमण के इस प्रयास की शिकायत की थी। जिसमें बताया गया था कि फोर्स के साथ दो बिना नंबर प्लेट के ट्रैक्टर और एक बोलेरो गाड़ी और एक बिना नंबर प्लेट की बाइक से पूरे श्मशान घाट को जोतकर खेत में तब्दील करने का प्रयास किया गया। जबकि ग्रामीण वर्ष 1972-73 से इस जमीन का उपयोग दाह संस्कार के लिए करते आ रहे हैं। दबंगों ने ग्रामीणों को विरोध करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।

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