चंडी दरबार में भक्तों की भारी भीड़: देवी मां के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे भक्त

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  चंडी देवी पिंडी स्वरूप में स्थापित है मनोकामना सिद्ध पीठ चंडी दरबार मंदिर के नाम से पूरे प्रदेश में प्रख्यात है

BETUL NEWS TODAY/चिचोली :- भारतीय दर्शन में मां चंडी को दुर्गा का रौद्र रूप दुष्टो का संहारक और शक्ति का प्रतीक माना जाता है जो ब्रह्मांड को संचालित करती है जो महाकाली महालक्ष्मी और महा सरस्वती का संयुक्त रूप माना जाता है भक्तों का मानना है की चंडी माता के दर्शन मंत्र सहित सभी प्रकार के कष्ट रोग और शत्रु भय से मुक्ति मिलती है ऐसा ही एक मनोकामना सिद्व पीठ मंदिर है जो बैतूल जिले के चिचोली तहसील मुख्यालय से 7 किलोमीटर दूर गोधना स्थित श्रद्धा आस्था का केंद्र चंडी माता दरबार मंदिर है जो भक्तों के दुष्टो और संहारक के रूप में देखा जाता है । यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने कष्टो के निवारण के लिए जुटते हैं । यहां नवरात्रि और रविवार बुधवार को मेला जैसा माहौल रहता है मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र राजस्थान छत्तीसगढ़ प्रांत से भक्त चंडी माता दरबार में अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं

14 00 सौ साल पुराने पुराने इस मंदिर के कई चमत्कार आज भी देखने को मिलते हैं चंडी माता यहां स्वयं पिंडी रूप में स्थापित है यह स्थान अपने चमत्कार और किवदंतिया सहेजे है यह स्थान पौराणिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक माना जाता है

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जन श्रुति के अनुसार यह राजा इल की कुलदेवी कहलाती है
बताया जाता है कि यह स्थान पहले सुनसान था सिंगांर चौड़ी गांव के लोग में जब माता की प्रसिद्ध की जानकारी हुई इसके बाद सिंगार चौड़ी गांव वालों माता की पूजा अर्चना के लिए अपने गांव ले जाने का निर्णय लिया इसके बाद दर्जनों बैलगाड़ी से गोधाना गाँव स्थित खुले स्थान पर स्थापित पिंडी स्वरूप चंडी माता की मूर्ति को बैलगाड़ी ले जाने का प्रयास किया जैसे ही माता की मूर्ति पर बैलगाड़ी गाड़ी स्थान से हिल भी नहि पाई और बैलगाड़ी के पहिए टूट गए बाद में और बाल गाड़ी बुलाई गई बाद में बुलाई गई बैल गाडी के पहिए भी टूट गए इसके बाद गर्मी के दिनों में आकाश में बादल गरजने लगे बुजुर्गों को माता का प्रकोप समझते देर नहीं लगी इसके बाद उन्होंने इस स्थान पर माता को उसी स्थान पर स्थापित कर एक चबूतरा बना दिया जहां आज माता का मंदिर स्थापित है मंदिर के सेवक हरि दास यादव एवं मंदिर पुजारी आयुष दुबे ने बताया कि नवरात्रि और रविवार बुधवार को बड़ी संख्या भक्त माता के दरबार में दर्शन और अपनी मनोकामना लेकर आते हैं यह माता मंदिर मनोकामना के लिए प्रसिद्ध है

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