नगर के चौक चौराहों, अस्पताल, बस स्टेंड पर देखें जा सकते हैं कुत्तों के झुंड, कार्रवाई नहीं
Betul News Today/मुलताई। नगर में चौक चौराहों सहित गली मोहल्लों एवं सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के झुंड से लोग परेशान हैं। यहां तक की सुबह बच्चों को कोचिंग जाने एवं बुजुर्गों को रात में निकलने में डर लग रहा है इसके बावजूद आवारा कुत्तों पर अंकुश नही लगाया जा रहा है। पूर्व में नगर में बच्चों को आवारा कुत्तों द्वारा काटने की कई घटनाएं हो चुकी है तथा लोगों द्वारा प्रशासन से कुत्तों को हटाने की मांग भी समय समय पर की गई है इसके बावजूद दिनों दिन कुत्तों की संख्या बढ़ रही है जो नगर की प्रमुख समस्या बन गई है। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों को सार्वजिनिक स्थानों से हटाने के आदेश के बाद लोगों को यह उम्मीद बंध गई है कि अब आवारा कुत्तों को हटाया जाएगा लेकिन बड़ी संख्या में लोगों को अभी भी संशय है कि क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी नगर के सार्वजनिक स्थानों से आवारा कुत्तों को हटाया जाएगा। नगर के समाज सेवी रामदास देशमुख ने बताया कि नगर में दिनों दिन आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती जा रही है। विगत दिनों उनकी गाय के बछड़े को आवारा कुत्तों द्वारा नोच लिया गया था जिसकी लिखित शिकायत नगर पालिका से करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की गई। बड़ी संख्या में लोगों ने बताया कि चौक चौराहों पर रात में कुत्तों के बड़े झुंड बैठे रहते हैं जिससे देर रात स्टेशन से आने एवं जाने वाले यात्रियों को दहशत में आवागमन करना पड़ता है। सुबह भ्रमण करने वाले बुजुर्गों को भी कुत्तों का भय रहता है जिससे कई बुजुर्ग तो सिर्फ कुत्तों के कारण सुबह एवं रात में घर से नहीं निकलते। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब लोगों को यह उम्मीद बंधी है कि आवारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों से हटाया गया तो उनके लिए यह राहत होगी।
एक साथ कई बच्चों को काटा था कुत्तों ने
नगर में कई बार कुत्तों के काटने की घटनाएं हो चुकी है जिसमें कुछ समय पहले कुत्तों ने एक साथ कई बच्चों को काट लिया था जिससे पूरे नगर में दहशत फैल गई थी। नगर के साथ साथ ग्रामीण अंचलों में भी कुत्तों का आतंक व्याप्त है जिससे ग्रामीण भी परेशान है। कई बार कुत्तों को काटने के बाद साधन नहीं होने से ग्रामीणों को डाग बाईट्स से पीड़ित व्यक्ति को अस्पताल लाने में भी समस्या हो जाती है। इधर सरकारी अस्पताल परिसर में बड़ी संख्या में कुत्तों के झुंड प्रतिदिन देखे जा सकते हैं। इसके अलावा बसस्टेंड तो कुत्तों के लिए मानो रैन बसेरा ही बन गया है जहां शाम होते ही बड़ी संख्या में कुत्तों के झुंड पहुंच जाते हैं जिससे यात्री एवं राहगीरों को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है।
अधिकांश समय अस्पताल में नही होते एंटी रैबिज इंजेक्शन
कुत्तों के काटने से पीड़ित लोगों सहित उनके स्वजनों ने बताया कि अधिकांश समय सरकारी अस्पताल में कुत्तों को काटने के बाद एंटी रैबिज इंजेक्शन उपलब्ध नही रहते जिससे पीड़ित लोगों को सीधे जिला अस्पताल ले जाना पड़ता है। कई बार इंजेक्शन उपलब्ध नही रहने से निर्धन तथा मध्यम वर्ग के लोगों के लिए खासी समस्या खड़ी हो जाती है जब उन्हे निजी अस्पतालों की शरण लेना पड़ता है। बताया जा रहा है यदि सहीं समय पर एंटी रैबिज इंजेक्शन नही मिले तो इसके परिणाम दूरगामी होते हैं। बाद में पीड़ित की हालत खराब हो जाती है जिससे समय पर उपचार मिलना अत्यंत आवश्यक है। विशेष रूप से कुत्ते कभी भी बच्चों तथा बुर्जुगों को ही निशाना बनाते हैं और यदि समय रहते कोई नही पहुंचा तो कुत्तों के काटने से जान भी जा सकती है।
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सफल नही हो सकते नसबंदी आपरेशन सहित अन्य प्रयास
कुत्तों की संख्या कम करने के लिए पूर्व में नगर पालिका द्वारा बाहर से विशेषज्ञ बुलाकर कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाया गया था। बताया जा रहा है कि उक्त अभियान सफल नहीं होने से बाद में नगर पालिका द्वारा अभियान बंद कर दिया गया वर्तमान में स्थिति यह है कि नगर के चप्पे चप्पे पर कुत्तों के झुंड नजर आ रहे हैं जो कभी भी किसी व्यक्ति पर हमला कर सकते हैं इसलिए लगातार बढ़ती घटनाओं के दृष्टिगत सुप्रीम कोर्ट द्वारा कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों से हटाने की जिम्मेदार नगर पालिका अधिकारियों को सौंपी गई है ताकि नगर में कुत्तों के काटने की घटनाओं पर अंकुश लग सके। अब देखना यह है कि नगर पालिका द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कब से नगर में कुत्तों को हटाने का अभियान प्रारंभ किया जाएगा।

