Betul News Today/मनीष राठौर:- मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में जिला जेल की जमीन को लेकर एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। आदिवासी परिवार से ली गई यह जमीन फर्जी तरीके से भोपाल की प्राइवेट कंपनी को बेच दी गई। अब वारिस तहसीलदार के पास न्याय मांगने पहुंचा है, लेकिन प्रशासन ने सिविल कोर्ट के आदेश की शर्त ठोंक दी।जमीन का पुराना इतिहास: आदिवासी परिवार से शासन ने ली थी जेल के लिएराज्य शासन ने आदिवासी परिवार की जमीन अधिग्रहण कर जिला जेल के लिए उपयोग की थी। जेल परिसर में संचालित जेल के बाद भी यह जमीन फर्जी दस्तावेजों से भोपाल की एमरॉल्ड हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी गई।कंपनी अब इस पर मल्टी स्टोरी भवन बना रही है, जो लगातार विवादों में घिरा हुआ है। फिलहाल जमीन कम्मो उइके (फरियादी बालाराम उइके की मां) के नाम दर्ज है, लेकिन रजिस्ट्री कंपनी के नाम पर हो चुकी है। वारिस की शिकायत: हनुमान मंदिर से खुलासा, तहसीलदार ने टाल दिया मामलाफरियादी बालाराम उइके ने बताया कि वे जेल परिसर स्थित हनुमान मंदिर में जाते हैं। वहां से पता चला कि जमीन बेच दी गई है। सालों पुराने दस्तावेज लेकर तहसीलदार के पास पहुंचे।प्रशासन ने कहा, “सिविल कोर्ट का ऑर्डर लाओ, 3 दिन में जमीन तुम्हारे नाम पर हो जाएगी।”उइके ने धमकी दी, “जमीन न मिली तो परिवार सहित जान दे दूंगा।”इस 600 करोड़ कीमत की जमीन पर दावेदारी पेश की गई, लेकिन प्रशासन का रवैया संदेहास्पद है। मीडिया साइलेंस और प्रशासन पर सवाल: कलेक्टर से लेकर अधिकारियों की मिलीभगत? कंपनी ने मीडिया मैनेजमेंट के नाम पर बड़े मीडिया संस्थानों को लाखों रुपये देकर मुंह बंद कराए।मामला ठंडे बस्ते में चला गया, कलेक्टर से लेकर निचले अधिकारियों पर मिलीभगत के आरोप। आदिवासी समुदाय और संगठनों की प्रतिक्रिया का इंतजार; क्या भाजपा राज में एक बार फिर हक कुचला जाएगा? यह मामला प्रशासन की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जांच के बाद ही पूरा सच सामने आएगा।

Read Also: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने घोषणा कि अब मुलताई का नाम बदलकर होगा मुल्तापी

