आरोप : आमला पंचायत में चल रहा फर्जी बिलों का खेल

By sourabh deshmukh

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स्पष्ट तक नहीं दिख रहे ऑनलाइन बिल, हो गया भुगतान

Betul News Today / भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैंसदेही पंचायतों में भ्रष्टाचार रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जहां जिला पंचायत विकास के नए आयाम स्थापित करने में लगी है, वहीं दूसरी ओर यह चमक वास्तविकता में कितनी है, इसकी जानकारी हैरान करने वाली है। मामला जनपद पंचायत भैंसदेही की ग्राम पंचायत आमला का है, जहां पंचायत द्वारा लगाये गये बिल स्पष्ट तक नहीं दिख रहे है और ऑनलाईन भुगतान तक कर दिया गया। यह बिल हजार-दो हजार का नहीं, बल्कि 20 हजार रूपये का है। ग्रामीणों का आरोप है कि आमला पंचायत के सरपंच-सचिव, रोजगार सहायक और जनपद सदस्य मिलकर शासन की राशि का दुरूपयोग कर रहे है। ग्रामीणों ने रोजगार न देने और फर्जी हाजरी का भी आरोप पंचायत पर लगाया है। जिसकी शिकायत भी जनपद सीईओ से की है। शिकायत में ग्रामीण दीपक, पुष्पा, सागर, दीनदयाल, रविन्द्र सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि तालाब निर्माण सुनिल के खेत के पास दो-तीन हफ्ते का रोजगार दिया गया, बाकि 9 लाख 15 हजार तीन सौ चौसठ की हाजरी फर्जी चलाई गई। मार्च-अप्रैल-मई-जून तब गांव का कोई भी मजदूर काम पर नहीं गया एवं फर्जी हाजरी लगाई गई। इसी तरह एम.पी.टी. निर्माण कार्य पिन्टू लिखितकरके खेत के पास में जो कार्य वास्तव में वह कार्य नहीं हुआ उसमे 3 लाख 18 हजार 24 रूपए निकाल लिए गए। एम.पी.टी. ही निर्माण हनवतराव के खेत के पास ग्रामीणों को 3 से 4 दिन का रोजगार देकर बाकि 1 लाख 51 हजार 194 रु फर्जी हाजरी लगाई गई। जिसकी जांच की जांच ग्रामीणों ने की है।

गांव की जगह सरपंच-सचिवों का विकास

ग्रामीणों का आरोप है कि जनपद की आमला पंचायत में योजनाओं में पैतरेबाजी करके शासन का पैसा निकाल लिया जाता है। जिन रूपयों से गांव का विकास होना था, वहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही विकास हुआ है। हर एक विभागो में कार्य की गुणवत्ता के लिए अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, ताकि समय-समय पर उस कार्य का निरीक्षण करके अच्छा और गुणवत्ता पूर्ण रूप से सम्पादित कर सके और भ्रष्टाचार की रोकथाम की जा सके। सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत मे पदस्थ अधिकारी, कर्मचारी और इंजीनियर सांठगांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखती है। जिसका नतीजा पंचायत गुणवत्ता के मामले मे फिसड्डी साबित हो रही है।

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भरोसेमंद ढूंढते हैं सप्लायर

सरपंच और सचिव निर्माण सामग्री सप्लाई करने के लिए भरोसेमंद सप्लायर को ढूंढ़ते हैं, जो उनकी सुविधा अनुसार बिल लगाकर दे। उस बिल के आधार पर सप्लायर्स को भुगतान किया जाता है। भुगतान के बाद सरपंच, सचिव राशि वापस ले लेते हैं, क्योंकि कुछ पंचायतों के निर्माण कार्य कागजों में ही पूरे होते है धरातल पर नहीं। इसीलिए हर पंचायत अलग-अलग फर्जी फर्म भी बनाती है और इसी के आधार पर हजारों-लाखों रूपये के भ्रष्टाचार का खेल खेला जाता है। जनपद पंचायत के अधिकारी ऐसे मामलों में संज्ञान लेकर कार्रवाही नहीं करते। यह जरूर है कि शिकायत के बाद मामले की जांच होती है, लेकिन कार्रवाही के नाम पर केवल खानापूर्ति कर राशि वसूली या ज्यादा से ज्यादा सचिव, रोजगार सहायक को पद से पृथक करने के निर्देश दिये जाते है।

इनका कहना है-
शिकायत मिली थी, जिसकी जाँच चल रही है। जांच के बाद ही कुछ कह पाऊँगा।

जितेंद्र सिंह ठाकुर, सीईओ, जनपद पंचायत भैसदेही

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