कुछ ही सोसायटियों से मिलती है निर्धारित मात्रा, प्राइवेट दुकानदारों की मनमानी से किसान परेशान
Betul News Today / भैंसदेही (मनीष राठौर) :– सरकार व प्रशासन के प्रयासों के बाद भी प्राइवेट खाद विक्रेता मनमानी से बाज नहीं आ रहे है। हालात यह है कि कुछ प्राइवेट खाद विक्रेता निर्धारित दर से अधिक दाम पर खाद की बिक्री कर रहे है। भैसदेही क्षेत्र के किसानों का आरोप है कि यदि अधिक मूल्य का विरोध करे तो खाद देने से मना कर देते है। जिससे किसानों को डीएपी, यूरिया खाद के लिए परेशान होना पड़ रहा है। दरअसल शहर में रबी फसल की बुआई को लेकर हलचल तेज हो गई है। किसान खेत बनाने से लेकर बुआई की तैयारियां में जुट गये है। किसानों का कहना है कि बारिश के बाद अब खेत सूख गये है। खेत बनाने के बाद अब बुआई कार्य प्रारंभ कर दिया है। ऐेसे में किसानों को यूरिया खाद की जरूरत है। किसान सोसायाटियों से खाद तो ले रहे है, लेकिन खाद कम पडऩे पर उन्हें प्राइवेट दुकानों से भी खाद खरीदना पड़ रहा है। जिसका फायदा खाद विक्रेता उठा रहे है। लेकिन अधिकारी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे है। संबंधित वरिष्ठ कृषि अधिकारी श्री टेकाम फोन तक नहीं उठाते है। ऐसे में किसान शिकायत करे भी तो कहां, यह बड़ा सवाल बन गया है।
कुछ सोसायटियों से मिल रहा निर्धारित खाद
सरकार किसानों को सोसायटियों के माध्यम से खाद-बीज उपलब्ध कराता है। लेकिन क्षेत्र की कुछ सोसायटियों से किसानों को केवल निर्धारित मात्रा में ही खाद-बीज उपलब्ध होते है। ऐसे में बड़ा रकबा होने पर किसान को प्राइवेट दुकानों से खाद-बीज खरीदना पड़ता है। किसानों का आरोप है कि यहां दुकानदार मूल्य अधिक लगाते है। बीज के मामले में भी यही हाल है। बीज की अनेको वैरायटी बताकर बीज बेच देते है और जब बीज अंकुरित नहीं होते तो किसानों की गलती बताकर पल्ला झाड़ देते है। किसानों का आरोप है कि प्राइवेट दुकानदार प्रति बोरी 50 से 100 रूपये अतिरिक्त लेते है। जिसके चलते किसान परेशान है।
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हर साल किसानों को होना पड़ता है परेशान
किसानों का कहना है कि खाद को लेकर किसान पहली बार परेशान नहीं हो रहे है, हर साल डीएपी, यूरिया खाद के लिए किसान लाईनों में खड़े रहते है। फिर भी उन्हें पर्याप्त खाद नहीं मिलती है। मजबूरन प्राइवेट दुकान से खाद खरीदते है। यहां भी किसानों का आर्थिक शोषण किया जाता है। दुकानदारों के पास स्टॉक होने के बावजूद वे सरकारी दाम पर डीएपी, युरिया खाद देने से इनकार कर देते हैं।किसानों का कहना है कि आर्थिक रूप से कमजोर अधिकांश किसान खाद नहीं खरीद पा रहे हैं। इसके चलते किसानों को उपज में गिरावट आने की चिंता सताने लगी है।