Betul Samachar/भैंसदेही (मनीष राठौर) :- भैंसदेही रामलीला मंचन के छटवे दिन सूर्पनखा अपनी कटी हुई नाक के साथ अपने भाई खर दूषण के पास जाती है और सारी व्यथा सुनाती है। यह सुनकर खरदूषण क्रोधित हो जाते है और बदला लेने के लिए श्रीराम के साथ युद्ध करते है। युद्ध में खर और दूषण मारे जाते है। यह देख सूर्पनखा अपने भाई रावण के पास जाती है और नाक काटने से लेकर खरदूषण में तक की सारी घटना बताती है। रावण सोचता है कि खरदूषण को भगवान के सिवा कोई मार ही नहीं सकता इसका मतलब भगवान ने इस पृथ्वी पर अवतार ले लिया है। यदि वह भगवान हुए तो हठ पूर्वक बैर करके उनके लोक को प्राप्त हो जाऊंगा नहीं तो वह मेरे हाथों मारे जाएंगे।
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—: रावण ने सुनियोजित ढंग से छल कर किया सीताहरण :—
रावण योजना बना कर मामा मारीच को स्वर्ण मृग बनकर सीता के सामने से गुजारते है जिसे देख सीता मोहित हो जाती है। तथा श्रीराम से मृग छाल लाने के लिए कहती है श्रीराम मृग छाल लाने वन में जाते है जहा मारीच मरते मरते हा लक्ष्मण हा लक्ष्मण पुकारते है यह सुनकर सीताजी लक्ष्मण को राम की मदद के लिए भेजती है। लक्ष्मण जाते जाते रेखा खींचकर जाते है। और वह कहते है कि माता यह रेखा किसी भी हाल में पार मत करना लक्ष्मण के जाते ही रावण रूप बदलकर भिक्षा मांगने सीताजी के द्वार पर आता है और भिक्षा मांगता है। सीताजी जैसे ही रावण को भिक्षा देती है तब ही लक्ष्मण रेखा से आग निकलती है। जिसे देख रावण भिक्षा लेने से मना कर देता है तथा सीताजी को रेखा से बाहर आकर भिक्षा देने का कहता है। सीताजी न चाहते हुए भी रेखा पार कर भिक्षा देती है उसी समय रावण सीताजी का हरण कर लेता है और अपने असली रूप में आ जाता है। सीताहरण कर जाते समय उसे रास्ते में पक्षीराज जटायु मिलता है जो सीताजी को बचाने के लिए रावण से युद्ध करता है जिसे घायल कर रावण सीता को लेकर आगे चला जाता है इधर राम लक्ष्मण सीता को ढूंढते ढूंढते जटायु के पास पहुंचते है।
जटायु को घायल पाकर श्रीराम उनका हाल पूछते है तब जटायु रावण द्वारा सीताजी के हरण कि बात बताता है और यह कहता है कि प्रभु सीताजी को बचाने में मेरा यह हाल रावण ने किया यह कहते जटायु प्राण त्याग देता है श्रीराम जटायु का अंतिम संस्कार स्वयं करते है। इससे बड़ा भाग्यवान कौन होगा जिसका अंतिम संस्कार स्वयं भगवान कर रहे है। रावण का दमदार अभिनय बंडू जैन के द्वारा निभाया जा रहा है खरदूषण का अभिनय मोनू तिवारी एवं संतोष पाल के द्वारा निभाया जा रहा है। जटायु का अभिनय चिन्ध्या जी के द्वारा निभाया जा रहा है। यह तो दर्शकों का ही जज्बा है जो भीगते हुए भी सीताहरण का सुंदर दृश्य देखते रहे।