ताप्ती पवित्र क्षेत्र में किया गया तर्पण पुण्य फलदाई होता है – पंडित जोशी

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                                                                ताप्ती तट पर प्रतिदिन हो रहे श्राद्ध एवं तर्पण

Betul Samachar News/मुलताई । श्रद्धा इति श्राद्धम पितृपक्ष में पितरों के प्रति किया जाने वाला श्रद्धा पूर्ण समर्पण ही श्राद्ध कर्म है, पितरों की कृपा से ही मनुष्य का जीवन सुख पूर्वक व्यतीत होता है । उक्त उद्गार ताप्ती मंदिर के पुजारी पंडित सौरभ जोशी ने व्यक्त करते हुए बताया कि पितरों के निमित्त किया गया पवित्र क्षेत्र में तर्पण पिंडदान विशेष फलदाई होता है । पंडित जोशी ने बताया कि पुराणों में तीर्थ क्षेत्र पर जाकर तर्पण करना पिंडदान करना विशेष फलदाई है । हम सभी भाग्यशाली है जो मां तापी के तट पर हमारा जन्म हुआ है। ताप्ती महात्म पुराण में कई कथाएं आती है जिसमें कपड़े निचोड़ देने मात्र से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हुई है। कई क्षेत्रों में हाथ से तील गिर जाने के कारण पितृ संतुष्ट हुए हैं । भगवान राम के द्वारा ताप्ती तट पर पिंडदान किया गया एवं कई सारे ऋषि मुनि देव गंधर्व किन्नर भी ताप्ती क्षेत्र में तर्पण करके मोक्ष गामी हुए। तापी तट पर श्रद्धा भाव से किया गया तर्पण कार्य पिंडदान विशेष फलदाई है। पिंडदान और तर्पण करने के पश्चात पितरों के प्रति समर्पण भाव से दान करना,वृक्ष रोपण ,गौ सेवा और गरीबों की सेवा करना नर सेवा ही नारायण सेवा है। पितृ के लिए श्री क्षेत्र गया जी जाकर भी दान पुण्य पिंडदान किया जाता है तथा सभी धार्मिक क्षेत्र में तीर्थ क्षेत्र में नदियों के तट पर पिंडदान तर्पण विशेष फलदाई है ।

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