Big breaking News: कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी के बहुचर्चित मामले में बुधवार को कोतवाली पुलिस ने इंदौर की यूवेगो कंपनी के डायरेक्टर समेत दो लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। इस मामले में पुलिस उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन उप संचालक की भूमिका की भी जांच कर रही है। मामला 2021 में प्रकाश में आया था। तब से लेकर अब तक किसान कार्रवाई के लिए कई दरवाजे खटखटा चुके हैं। कोतवाली पुलिस ने आज बड़ौरा निवासी किसान गणेश मालवीय पिता स्वर्गीय श्री मल्लूजी मालवी (72) की शिकायत पर यह धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। कोतवाली टीआई देवकरण डेहरिया ने बताया कि किसान की शिकायत के आधार पर प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का मामला कायम कर आवेदन में उल्लेखित कंपनी डायरेक्टर मयूर और जायसवाल के खिलाफ धारा 406, 420 के तहत केस दर्ज किया गया है। इस मामले में तत्कालीन उप संचालक की भूमिका की भी जांच की जाएगी। विभाग से पत्राचार कर जानकारी ली जाएगी। उद्यानिकी विभाग ने 2018 में किया अनुबंध
2017-2018 में बैतूल उद्यानिकी विभाग की उपसंचालक आशा उपवंशी ने जिला पंचायत भवन सभागार में किसानों की बैठक बुलाई थी। जिसमें बैतूल के करीब 100 किसान एकत्रित हुए थे। बैठक में अधिकारी के रूप में यूवेगो एग्री सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड इंदौर के संचालक मयूर जोशी और जायसवाल मौजूद थे। बैठक में मयूर जोशी और जायसवाल ने बताया कि हम किसानों को 20 रुपए में एक मोरिंगा का पौधा देंगे और अगले 05 साल तक उसकी देखभाल करेंगे, साथ ही 5 साल तक किसानों से इस पौधे की पत्तियां भी खरीदेंगे। इससे किसानों को प्रति एकड़ प्रति वर्ष करीब एक से डेढ़ लाख रुपए का मुनाफा होता है। जिसके लिए कंपनी बाकायदा अनुबंध भी करेगी। कंपनी ने निदेशक और उद्यानिकी विभाग के साथ मिलकर 1 सितंबर 2018 को 2 एकड़ जमीन पर मोरिंगा के पौधे लगाने का करार किया है।
मोरिंगा के पौधे जो कुछ समय बाद ही मुरझा गए हैं।
ये था पूरा मामला
दरअसल उद्यानिकी विभाग ने करीब 500 किसानों को चिन्हित कर उन्हें मोरिंगा की खेती करने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए किसानों से करार किया गया था, जिसमें स्पष्ट था कि किसी भी विवाद की स्थिति में उद्यानिकी विभाग कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेगा, लेकिन कुछ दिनों बाद जब किसानों को पौधे नहीं मिले और जिन किसानों ने पौधे लगाए थे उनकी मौत हो गई, तो उन किसानों ने उद्यानिकी विभाग से पौधे वापस मांगे। उस समय इन किसानों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था।
पीड़ित किसानों ने न्याय के लिए मुख्यमंत्री, कलेक्टर, एसपी, एसडीएम और पुलिस थानों में गुहार लगाई, लेकिन उनकी गुहार पर ध्यान नहीं दिया गया। जब किसानों ने कलेक्टर से शिकायत की, तो मामले की जांच कृषि विभाग को सौंप दी गई। कृषि विभाग के उपसंचालक दीपक सरीम को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। कृषि मंत्रालय को 97 किसानों की सूची मिली थी, जिनके साथ कंपनी का अनुबंध था। लेकिन जब तत्कालीन कृषि मंत्री कमल पटेल को इस मामले की भनक लगी तो उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई।
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