Chanakya Niti:- अपने ज्ञान, अनुभव और दूरदर्शिता के आधार पर, आचार्य चाणक्य ने जीवन को सफल और सुरक्षित बनाने के लिए कई सिद्धांत दिए हैं। उनकी नीतियों में ऐसे लोगों के बारे में खास चेतावनियाँ शामिल हैं, जिनकी संगति धीरे-धीरे किसी व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर सकती है। ऐसे लोग न सिर्फ आपकी तरक्की में रुकावट डालते हैं, बल्कि आपकी मानसिक शांति और सामाजिक सम्मान भी छीन लेते हैं।
हमेशा असंतुष्ट रहने वाले लोग
चाणक्य कहते हैं कि जिन लोगों को कभी संतोष नहीं होता, वे हमेशा दुखी रहते हैं और दूसरों की प्रगति से ईर्ष्या करते हैं.
क्यों हैं खतरनाक: ऐसे लोग आपके अच्छे कार्यों में भी दोष निकालते हैं. वे लगातार शिकायतें करते हैं, जिससे आपके अंदर भी निराशा और नकारात्मकता का भाव आने लगता है. इनकी संगति आपकी ऊर्जा को खत्म कर देती है.
पीठ पीछे बुराई करने वाले और झूठे मित्र
चाणक्य की दृष्टि में, पीठ पीछे आपकी बुराई करने वाले और मीठी बातें बोलने वाले मित्र सबसे बड़े शत्रु होते हैं.
क्यों हैं खतरनाक: ऐसे लोग आपके मुंह पर तो आपकी प्रशंसा करेंगे, लेकिन जैसे ही आप मुड़ेंगे, वे आपकी निंदा शुरू कर देंगे. वे उस ज़हरीले घड़े के समान हैं, जिसका ऊपरी हिस्सा दूध से भरा होता है. मुश्किल समय में ये सबसे पहले आपको धोखा देते हैं.
लालची व्यक्ति
जो लोग धन और लोभ के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं, चाणक्य उन्हें त्यागने की सलाह देते हैं.
क्यों हैं खतरनाक: लालची व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए आपको भी गलत रास्ते पर ले जा सकता है. उनकी संगत में रहने से आपकी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुँच सकती है, क्योंकि जब वे पकड़े जाएँगे, तो उनका संबंध आपसे भी जोड़ा जाएगा. ये लोग धर्म और नैतिकता के मार्ग से भटके हुए होते हैं.
मूर्ख एवं अज्ञानी व्यक्ति
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति को उपदेश देना या उनसे तर्क करना समय की बर्बादी है.
क्यों हैं खतरनाक: ये आपकी अच्छी सलाह को भी नहीं समझेंगे, बल्कि उल्टे आपका ही मज़ाक उड़ा सकते हैं. उनके साथ बहस करने से आपकी मानसिक शांति भंग होती है और आपका कीमती समय नष्ट होता है. ऐसे लोग जीवन में कोई सार्थक योगदान नहीं देते.
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दुख में साथ छोड़ने वाले स्वार्थी रिश्तेदार या मित्र
जो लोग केवल सुख-समृद्धि में आपके साथ होते हैं, लेकिन मुश्किल आने पर आपको अकेला छोड़ देते हैं, चाणक्य उन्हें स्वार्थी करार देते हैं.
क्यों हैं खतरनाक: सच्चा संबंध वही है जो विपत्ति में काम आए. ऐसे स्वार्थी लोग आपके भावनात्मक और आर्थिक पतन का कारण बन सकते हैं, क्योंकि जब आपको सबसे ज्यादा उनकी जरूरत होती है, वे गायब हो जाते हैं. इन लोगों से दूरी बनाकर आप भविष्य के धोखे से बचते हैं.
आचार्य चाणक्य का मानना था कि एक व्यक्ति की सफलता और असफलता में उसकी संगति का बहुत बड़ा हाथ होता है. वे कहते हैं, बुरी संगति उस कोयले के समान है, जो गर्म हो तो हाथ जला देता है और ठंडा हो तो हाथ काला कर देता है. इसलिए, यदि आप अपने जीवन में शांति, प्रगति और सफलता चाहते हैं, तो हमेशा अच्छे लोगों का साथ बनाए रखें.

