Eid-Ul-Fitr 2025:- ईद मुस्लिम धर्म के लिए बहुत ही खास त्यौहार है। इसे साल में दो बार मनाया जाता है। पहले साल ईद-उल-फितर का त्यौहार मनाया जाता है, फिर ईद-उल-जुहा या ईद-उल-अजहा मनाया जाता है। ईद-उल-फितर को मीठी ईद और ईद-उल-अजहा को बकरीद कहा जाता है। बकरीद मीठी ईद के करीब डेढ़ से दो महीने बाद मनाई जाती है।
मुस्लिम समुदाय में मीठी ईद रमजान के पवित्र महीने के अंत का प्रतीक है। रमजान के दौरान सभी मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह से प्रार्थना करते हैं और जब आखिरी दिन चांद दिखाई देता है तो अगले दिन ईद-उल-फितर मनाई जाती है। ईद-उल-अजहा को कुर्बानी का दिन कहा जाता है। आइए जानते हैं साल में दो बार ईद मनाने के पीछे क्या मान्यताएं हैं।
ऐसे हुई मीठी ईद की शुरुआत
ईद-उल-फितर या मीठी ईद पहली बार 624 ई. में मनाई गई थी। कहा जाता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी। पैगम्बर की जीत की खुशी जाहिर करते हुए उस समय लोगों ने मिठाइयां बांटी थीं। कई तरह के पकवान बनाकर जश्न मनाया गया था। तब से हर साल बकरीद से पहले मीठी ईद मनाई जाने लगी।
कुरआन के अनुसार मीठी ईद को अल्लाह की तरफ से मिलने वाले इनाम का दिन माना जाता है. इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने में पूरे माह रोजे रखे जाते हैं और जब अहले ईमान रमजान के पवित्र महीने के एहतेरामों से फारिग हो जाते हैं और रोजों-नमाजों और उसके तमाम कामों को पूरा कर लेते हैं तो अल्लाह एक दिन अपने इबादत करने वाले बंदों को बख्शीश व इनाम से नवाजता है. बख्शीश व इनाम के दिन को ईद-उल-फितर का नाम दिया गया है.
ईद-उल-अजहा को लेकर मान्यता
वहीं अगर ईद-उल-अजहा की बात करें तो इस दिन का इतिहास हजरत इब्राहिम से जुड़ी एक घटना से है. ये दिन कुर्बानी का दिन माना जाता है. कहा जाता है कि अल्लाह ने एक दिन हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी मांगी. हजरत इब्राहिम अपने बेटे से बहुत प्यार करते थे, लिहाजा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया. हजरत इब्राहिम बेटे का हाल आंखों से नहीं देख सकते थे, इसलिए उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध ली थी. इब्राहिम ने बंद आंखों से अपने बेटे की कुर्बानी दी थी, लेकिन जब उन्होंने आंखें खोलीं, तो उनके बेटे की जगह वहां एक मेमने का सिर था. तभी से इस्लाम में बकरीद मनाने की शुरुआत हुई. इस दिन को कुर्बानी का दिन कहा जाने लगा. हर साल बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है.