IND – New Zealand: यह प्रतिष्ठा की लड़ाई है, घर में अपमान का बदला लेने का मौका है, टीम को यह एहसास होने का समय आ गया है कि पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम आईसीसी टूर्नामेंट में लगातार हार का सामना कर रही है। 2019 में विश्व चैंपियनशिप हो या 2021 में विश्व चैंपियनशिप, हर मौके पर न्यूजीलैंड की टीम भारतीय टीम पर हावी रही। इस बार चैंपियंस ट्रॉफी ट्रॉफी में भी न्यूजीलैंड ने सबसे मजबूत टीम के तौर पर अपनी छाप छोड़ी। न्यूजीलैंड अपने पहले दोनों मैच जीतकर दुबई पहुंची। टीम के शीर्ष क्रम के खिलाड़ी लय में हैं और निचला क्रम मैच का शानदार अंत करता है। भारतीय टीम के लिए परेशानी यह है कि न्यूजीलैंड की टीम में कई ऐसे लेवोटॉकी हैं जो बाएं कंधे के तीन स्पिनरों को खेलने की रणनीति को बिगाड़ सकते हैं। बाएं हाथ के मोहरे जो तहलका मचा सकते हैं इस चैंपियन ट्रॉफी में न्यूजीलैंड की सबसे बड़ी ताकत उनके बाएं हाथ के बल्लेबाज रहे जो काफी खतरनाक फॉर्म में दिख रहे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ मैच में उन्होंने न्यूजीलैंड को 320 रन का स्कोर खड़ा करने में मदद की। लेथम ने इन पारियों में 10 चौके और 3 छक्के लगाए। लेथम ने पाकिस्तानी स्पिनरों के खिलाफ स्वीपिंग शॉट खेले। लेथम ने दो मैचों में 173 रन बनाए। बांग्लादेश के खिलाफ मैच में कॉनवे और रचिन रवींद्र ने मैच जीतने में अहम भूमिका निभाई। रचिन ने 105 गेंदों में नाबाद 112 रन बनाए। रचिन रवींद्र ने बांग्लादेश के स्पिनर के खिलाफ बेहतरीन फुट का इस्तेमाल किया और उनकी इनसाइड आउट मिसाइल बेजोड़ थी। तीनों बाएं हाथ के बल्लेबाजों की स्ट्राइक स्पीड भी 100 से ऊपर है और बड़े शॉट के अलावा ये बल्लेबाज स्ट्राइक टर्न करने में भी माहिर हैं।
भारतीय स्पिनरों के लिए बड़ी चुनौती
भारतीय टीम इस मास्टर्स ट्रॉफी को जीतने के लिए स्पिनरों पर अपना पूरा दांव लगा रही है। पहले दो मैचों में तीन स्पिनर खेले और तीनों बाएं हाथ के हैं। न्यूजीलैंड भारतीय स्पिनरों को चुनौती दे सकता है क्योंकि उनके पास बड़ी संख्या में बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं, जिनके लिए बाएं हाथ के स्पिन को खेलना आसान है। भारतीय टीम की समस्या यह है कि उनमें से दो बेहतरीन बल्लेबाज हैं और उनमें से किसी एक को छोड़कर वरुण या सुंदर को खिलाना बड़ा जोखिम होगा। कुल मिलाकर एक बात साफ है कि दुबई में सबसे बड़ी जंग भारतीय बाएं हाथ के गेंदबाजों और न्यूजीलैंड के बाएं हाथ के गेंदबाजों के बीच होगी।
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