Latest Betul News :– डॉक्टर मोहन सरकार ने सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की लेट लतीफी पर सख्त रुख अपनाया हुआ है। बैतूल कलेक्टर ने भी एक सप्ताह पहले संयुक्त कलेक्ट्रेट कार्यालय में निरीक्षण कर देरी से आने वाले 104 कर्मचारियों के एक दिन का वेतन काट दिया था। लेकिन सख्ती के बावजूद व्यवस्थाएं चुस्त दुरुस्त होने का नाम नहीं ले रही हैं। निचला अमला तो फिर भी तय समय पर पहुंच रहा है लेकिन विभाग प्रमुख पुराने ढर्रे पर ही चल रहे हैं।
सरकारी फरमान का बैतूल में क्या असर हुआ है, इसकी दो दिन पड़ताल की तो मिले जुले हालात देखने को मिले। जहां शाम छह बजे तक दफ्तरों में मौजूद रहने के आदेश पर कर्मचारी-कार्यालयों में मुस्तैदी से डटे दिखाई दिए तो सुबह कार्यालय पहुंचने के समय 10 बजे कई दफ्तरों में ताले खोलते कर्मचारी मिले तो कहीं पूरा स्टाफ समय पर नही पहुंच सका। इस बीच अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपनी दिक्कतें साझा की तो कई नई व्यवस्थाओं को बेहतर बताते हुए इसकी सराहना भी करते मिले।
खेल विभाग का दफ्तर सवा दस बजे खुला – Latest Betul News
कार्यालयों की रियलिटी चेक के दौरान हम कलेक्ट्रेट और एसपी दफ्तर से एक फ़रलांग दूर खेल एवम् युवा कल्याण विभाग के दफ्तर पहुंचे तो उस समय सुबह 10 बजकर 17 मिनट बजे थे। यहां सहायक ग्रेड 3 मनीष शर्मा कार्यालय का ताला खोलते मिले। उन्होंने बताया कि यहां छ कर्मचारियों का स्टाफ है। नई टाइमिंग के लिहाज से सभी जल्दी आ जाते हैं। लेकिन आज लेट हो गए। अधिकारी सवा 11 बजे तक पहुंचते हैं। यह कार्यालय एसपी बैतूल के अधीनस्थ है।
ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग के कार्यालय में भी भृत्य झाम सिंह मशराम अकेले सफाई करते मिले। सुबह के दस बजे यहां कार्यालय में उनके सिवा कोई नहीं था। श्री मशराम ने बताया ऑफिस में दो आपरेटर हैं। चार बाबू हैं, दो प्यून और ईई हैं। लेकिन दस बजे तक यहां कोई नहीं पहुंचा। बाजू में ही लोक सेवा केन्द्र में छ में से महज एक कर्मचारी कंप्यूटर पर काम करता नजर आया। एसी ट्राइबल के कार्यालय में भी इक्का दुक्का कर्मचारी ही अपनी सीट पर नजर आए।
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संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन में लगने वाले सामाजिक न्याय विभाग के कार्यालय में सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर 16 कर्मचारियों के स्टाफ में महज छह लोग ही कार्यालय पहुंचे थे। यहां मौजूद कर्मचारी ने बताया कि 16 में छ लोग मैदानी कर्मचारी है और विभाग प्रमुख ई दक्ष केंद्र पर ट्रेनिंग देने गए हैं।
कलेक्ट्रेट के करीब में ही मुख्य मार्ग पर रोजगार कार्यालय में तीन कर्मचारियों के स्टाफ में भृत्य और एक लिपिक सवा दस बजे कार्यालय में बैठे नजर आए। खाद्य विभाग में भी कर्मचारी तो कार्यालय पहुंच गए थे।लेकिन विभाग प्रमुख 10.40 तक भी नहीं पहुंचे। बाद में उनका कॉल आया कि वे हॉस्पिटल में हैं। इसे लेकर कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने भी बताया कि खाद्य जैसे विभाग में अधिकारी कई बार फील्ड पर चले जाते हैं।
शाम को लंबे समय तक रुकना पड़ता है – Latest Betul News
रियलिटी चेक के दौरान हमने पाया कि कर्मचारी और अधिकारी देर तक कार्यालय में मौजूद रहे। विभाग प्रमुखों के कार्यालय में बैठे रहने की वजह से भी कर्मचारी शाम छह बजे तो कई जगह देर शाम और रात तक सरकारी काम निपटाते रहे। कार्यालय छोड़ने के समय कर्मचारी देर तक काम करते दिखे। कर्मचारियों ने बताया, कई बार सात आठ भी बज जाता है।
टाइमिंग का अंतर नहीं पर गृहिणियों को फर्क पड़ा – Latest Betul News
शाम को कार्यालयों में अधिकारियों, कर्मचारियों की मौजूदगी परखने जब हम बैतूल तहसील कार्यालय पहुंचे तो यहां अधिकांश स्टाफ शाम छह बजे और उसके बाद भी काम करता मिला। नायब तहसीलदार राजकुमार उईके बोले टाइमिंग का ज्यादा अंतर नहीं। पहले साढ़े 10 से साढ़े 5 था अब 10 से 6 कर दिया है। आधा घंटे का ही अंतर है।
दिनचर्या में फर्क पड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गृहिणियों को इससे फर्क पड़ा है। हर कर्मचारी को अब दस बजे की टाइमिंग के लिहाज से खुद को तैयार करना पड़ता है। अब जल्दी करना पड़ता है। सुबह का तो निश्चित है लेकिन शाम का कुछ तय नहीं। राजस्व विभाग में काम ज्यादा है तो कई बार नौ और दस भी बज जाते हैं।
बदलाव अच्छा है जनता के काम हो रहे – Latest Betul News
एसडीएम बैतूल के कार्यालय में भी कर्मचारी छ बजे के बाद भी मुस्तैद नजर आए। यहां सहायक ग्रेड 3 महेश जैन बोले छ नहीं हम तो रात के दस दस बजे तक काम करते हैं। बदलाव अच्छा है। इससे जनता का हित हो रहा है। उनके काम जल्दी जल्दी हो रहे हैं। दो ढाई घंटे ज्यादा बैठने से एक दो केसों का और निराकरण हो जाता है। तहसीलों में जनता आती है तो दिन में ऑर्डर नहीं बन पाते है। रात में अधिकांश बाबू बैठकर काम करते हैं। शनिवार की शासन को छुट्टी भी बंद कर देना चाहिए। सिर्फ थर्ड और फोर्थ शनिवार की देना चाहिए।
104 कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटा – Latest Betul News
कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी ने बताया कि राज्य शासन के आदेश आज के नहीं काफी पुराने हैं। बहुत सारे पद एग्जीक्यूटिव पद हैं। जिसमें अधिकारी को फील्ड पर भी जाना पड़ता है। इसलिए उन्हें दस बजे आने को बाध्य नहीं कर सकते। हो सकता है वे दौरे पर गए हों लेकिन वे इंटिमेट जरूर करते हैं। 10 से 6 का पालन जिले में पूरी तरह हो रहा है। जो टेबल पर बैठकर काम करते हैं।
उन्हें 10 से 6 का पालन हमारे द्वारा करवाया जाता है। विगत दिनों जो 104 लोग समय पर नहीं आए थे। उनके एक दिन का वेतन काटने की कार्रवाई भी कर रहे हैं। जो आफिस में काम करते है और जो फील्ड पर काम करते हैं। उस भावना को समझना पड़ेगा।