Mahakumbh 2025 :- महाकुंभ में 3 दिन प्रवास के बाद एपल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल अचानक लौट गईं। उनके लिए 92 साल बाद प्रयागराज से इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ी। वह भूटान गई हैं। उनकी यात्रा के कार्यक्रम को गुप्त रखा गया था। केवल कुछ अफसरों को इसकी जानकारी थी।
बुधवार सुबह रॉयल भूटान एयरलाइंस की फ्लाइट प्रयागराज एयरपोर्ट पर लैंड हुई। थोड़ी देर में लॉरेन पॉवेल एयरपोर्ट पहुंचीं। तब जाकर पता चला कि फ्लाइट लॉरेन पॉवेल को लेने आई है। लॉरेन ने एयरपोर्ट निदेशक मुकेश उपाध्याय से मुलाकात की, फिर इमिग्रेशन विभाग की औपचारिकताएं पूरी की गईं।
इसके बाद लॉरेन पॉवेल भूटान के लिए रवाना हुईं। बताया जा रहा है कि लॉरेन अगले कुछ दिन भूटान में ही प्रवास करेंगी। इससे पहले, 1932 में प्रयागराज से लंदन के लिए फ्लाइट शुरू हुई थी।
10 दिन का प्लान, 3 दिन ही रहीं पॉवेल – Mahakumbh 2025
लॉरेन पॉवेल अचानक का प्रयागराज में 10 दिन कल्पवास का कार्यक्रम था। इससे पहले बुधवार को लॉरेन पॉवेल ने भगवती मां काली के बीज मंत्र की दीक्षा ली। कहा- सनातन परंपरा की गहराई और शांति ने मुझे भीतर से छुआ है। भगवती मां काली की आराधना से मुझे आत्मिक शांति और नई दिशा मिली है।
निरंजनी अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने पॉवेल को दीक्षा दी। आध्यात्मिक मार्गदर्शन का आशीर्वाद दिया। लॉरेन पॉवेल 3 दिन महाकुंभ में रहीं। उन्हें कैलाशानंद गिरि ने कमला नाम दिया है।
महाकाली का बीज मंत्र ‘ॐ क्रीं महाकालिका नमः’ हैं। इसी की दीक्षा स्वामी कैलाशानंद गिरि ने दी है। वहीं, महाकुंभ के बीच स्टीव जॉब्स के 1974 के एक लेटर की नीलामी हुई। जिसमें उन्होंने कुंभ में शामिल होने की इच्छा जताई थी।
दीक्षा समारोह का आध्यात्मिक माहौल – Mahakumbh 2025
पंचायती अखाड़ा निरंजनी में आयोजित दीक्षा समारोह में अध्यात्म और पवित्रता का अद्भुत संगम देखने को मिला। समारोह में वैदिक मंत्रोच्चारण और मां काली की पूजा-अर्चना ने वातावरण को दिव्य बना दिया। इस मौके पर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी ने कहा- मां काली की साधना से मनुष्य अपने जीवन में शांति और सशक्तिकरण का अनुभव करता है।
अमृत स्नान के दिन बीमार पड़ गई थीं – Mahakumbh 2025
महाकुंभ में अमृत स्नान से पहले लॉरेन पॉवेल बीमार पड़ गई थीं। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने ANI से कहा था कि- लॉरेन पॉवेल मेरे शिविर में आराम कर रही हैं। उन्हें एलर्जी हो गई है। वह कभी इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर नहीं गई हैं। उन्होंने पूजा के दौरान हमारे साथ समय बिताया। हमारी परंपरा ऐसी है कि जो लोग इसे पहले नहीं देख पाए हैं, वे सभी इसमें शामिल होना चाहते हैं। दीक्षा लेते समय वह स्वस्थ दिखीं।
भीड़ में स्नान करने से परहेज – Mahakumbh 2025
बता दें निरंजनी अखाड़ा के प्रमुख स्वामी कैलाशानंद गिरि ने जानकारी दी कि लॉरेन उनके शिविर में ठहरी हुई हैं और भारतीय परंपराओं का अनुभव कर रही हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा, “लॉरेन पॉवेल स्नान करना चाहती थीं, लेकिन एलर्जी के कारण उन्होंने भीड़ में स्नान करने से परहेज किया। हमने उनके स्नान की विशेष व्यवस्था की है। यह देखकर खुशी होती है कि हमारी परंपराओं को अब दुनिया भर से लोग अपनाना चाहते हैं। लॉरेन हमारे साथ हवन, पूजन और रात्रि अनुष्ठान में भाग ले रही हैं। यह महाकुंभ की वैश्विक छवि को दर्शाता है।”
13 जनवरी को प्रयागराज पहुंची थीं लॉरेन – Mahakumbh 2025
लॉरेन 13 जनवरी को प्रयागराज पहुंची थीं। वह साधुओं की संगत में रहकर सनातन, आध्यात्म और भारतीय संस्कृति को जानने की कोशिश कर रही। उन्होंने निरंजनी अखाड़े में कल्पवास यानी आत्मशुद्धि और तपस्या का संकल्प लिया है।
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महाकुंभ में सनातन धर्म के 13 अखाड़ा करेंगे स्नान –
महाकुंभ में के पहले अमृत स्नान में मंगलवार शाम 5 बजे तक करीब 4 करोड़ लोग संगम में डुबकी लगा चुके हैं. महाकुंभ में स्नान के लिए सभी सनातन धर्म के 13 अखाड़ों को अलग-अलग 30-40 मिनट का समय दिया गया है. इन 13 अखाड़ों को 3 ग्रुप में बांटा गया है- संन्यासी, बैरागी और उदासीन. संन्यासी ग्रुप में श्री पंच दशनम जूना अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, श्री पंचायती अटल अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, श्री शंभू पंचगणी अखाड़ा. श्री पंचदशनम अव्हान अखाड़ा और तपोनिधि श्री आनंद अखाड़ा शामिल है