MahaKumbh 2025 :- महाकुंभ 2025, 13 जनवरी से प्रयागराज में आरंभ हो गया है, और लाखों करोड़ों की संख्या में लोग संगमनगरी पहुंच रहे है. यह धार्मिक आयोजन गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर होता है. MahaKumbh 2025 अब सवाल उठता है कि संगम में पहुंच रहे श्रद्धालुओं की गिनती कैसे की जा रही है. यहां हम इसी बात की चर्चा करने जा रहे है कि आयोजक कैसे श्रद्धालुओं की संख्या का पता लगा रहे है.
श्रद्धालुओं की गिनती का तरीका (MahaKumbh 2025)
भीड़ की गिनती सांख्यिकीय तकनीकों के जरिए की जाती है। 2013 में पहली बार इस विधि का इस्तेमाल किया गया था, जब कुंभ में आए श्रद्धालुओं की संख्या का अनुमान लगाया गया था। इसके अनुसार, एक व्यक्ति को स्नान के लिए लगभग 0.25 मीटर की जगह चाहिए और स्नान में करीब 15 मिनट का समय लगता है। इस आधार पर एक घंटे में एक घाट पर 12,500 लोग स्नान कर सकते हैं। इस बार महाकुंभ में 44 घाट हैं, जो पहले के मुकाबले अधिक हैं।
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हाईटेक तकनीक से गिनती
हालांकि, यह आंकड़ा पूरी तरह से सही नहीं लगता, तो प्रशासन ने इसे सही करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लिया है। इसके तहत श्रद्धालुओं की गिनती के लिए AI तकनीक वाले कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा मेला क्षेत्र में 200 अस्थायी CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं, और शहर में 1107 कैमरे इंस्टॉल किए गए हैं। प्रशासन रेलवे स्टेशनों, पार्किंग क्षेत्रों और बसों में आने-जाने वालों की भी निगरानी कर रहा है।
प्रशासन की भूमिका (MahaKumbh 2025)
पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भीड़ प्रबंधन के लिए हर सेक्शन से रिपोर्ट इकट्ठा करते हैं। वॉलंटियर्स और सुरक्षा कर्मी सुनिश्चित करते हैं कि गिनती प्रक्रिया में किसी प्रकार की चूक न हो।
भविष्य की योजना में मदद
भीड़ का यह आंकड़ा केवल प्रशासन के लिए नहीं, बल्कि भविष्य के कुंभ आयोजनों की बेहतर योजना बनाने के लिए भी महत्वपूर्ण है। इससे प्रबंधन को यह समझने में मदद मिलती है कि किस दिन कितनी भीड़ हो सकती है और किन क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
महाकुंभ में करोड़ों लोगों की गिनती विज्ञान और तकनीक का अद्भुत उदाहरण है। यह दिखाता है कि जब आस्था और तकनीक साथ मिलते हैं, तो हर मुश्किल को हल किया जा सकता है।