Mahakumbh 2025 : प्रयागराज महाकुंभ में 28 जनवरी की देर रात श्रद्धालु मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के लिए पहुंचे लोग, तभी अफवाह उड़ी कि नागा साधु स्नान के लिए आने वाले हैं। ये सुनते ही भीड़ बेकाबू हो गई। Mahakumbh बैरिकेडिंग तोड़कर लोग आगे भागने लगे। इसमें जो गिरा उठ नहीं पाया। भीड़ उसे कुचलती चली गई।
उस हादसे में 35 से 40 लोगों ने अपनी जान गवां दी। 60 लोग घायल हुए। भगदड़ के बाद का मंजर भयावह था। कुछ लोग रोते-बिलखते अपनों की तलाश करते रहे, तो कुछ अपनों के शव का हाथ थामे रहे कि कहीं बॉडी न खो जाए। केंद्रीय अस्पताल में हर तरफ खून से लथपथ लोग और लाशें थीं।
हादसे के बाद श्रद्धालुओं की एंट्री रोक दी गई। जो जहां तक पहुंचा था, उसे वहीं रोका गया। ऐसे में 29 जनवरी को जनसेनगंज रोड समेत 10 से ज्यादा इलाकों के मुस्लिमों ने बड़ा दिल दिखाया। 25 से 26 हजार श्रद्धालुओं के लिए मस्जिद, मजार, दरगाह, इमामबाड़े और अपने घरों के दरवाजे खोल दिए।
लोगों के रहने की व्यवस्था की गई। उन्हें भोजन और चाय-पानी उपलब्ध कराया गया। जिन लोगों को दवा की ज़रूरत थी, उनकी देखभाल की गई।
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इरशाद बोले- वो हमारे मेहमान, हमने पूरी देखभाल की : बहादुर गंज (दायरा) के मो. इरशाद कहते हैं- उस रात भगदड़ के बाद हम लोगों को महसूस हुआ कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। सर्द रात में वह कहां जाएंगे? इसके बाद मस्जिद और दरगाहें खोल दी गईं। बहुत से लोगों को मुस्लिम लोगों ने घरों में पनाह दी। उनके रहने खाने की व्यवस्थाएं की गईं। बाद में भंडारे किए गए। वो प्रयागराज के मेहमान थे, हमने उनकी पूरी देखभाल करने का प्रयास किया।
मसूद कहते हैं- मुस्लिम अपना धर्म कर रहे थे, हिंदू अपना चौक एरिया के शिक्षक मसूद अहमद कहते हैं- प्रयागराज में इतना बड़ा आयोजन हो रहा है, उस रात जब मदद करने की बारी आई, तब हम सब लोगों ने मिलकर काम किया। भंडारे लगाए गए। हिंदू भाई अपना धर्म-कर्म कर रहे थे, मुस्लिम भाई मानवता के नाते मदद को आगे आए थे।
मुस्लिमों ने घरों के दरवाजे खोले चौक के मोइनुद्दीन ने कहा- प्रयागराज के मुस्लिम सिर्फ यही चाहते थे कि जो यहां आ रहा है, वह खुले आसमान के नीचे रात न बिताए, इसलिए सबने अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। यह एक सौहार्द की मिसाल की तरह है।