Mahakumbh Panchkoshi Parikrama :- प्रयागराज को तीर्थों का राजा कहा जाता है। पांच योजन और 20 कोस में फैले इस प्रयाग मंडल में कई ऐसे तीर्थ हैं, जिनकी परिक्रमा और कुंभ में दर्शन किए बिना कुंभ का पुण्य फल नहीं मिलता। कुंभ में प्रयाग के इन तीर्थों की परिक्रमा को आगे बढ़ाते हुए पंच कोसी परिक्रमा की शुरुआत की गई।
महाकुंभ में पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने अपनी परंपरा का निर्वाह करते हुए पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत की. जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरिगिरी के नेत़ृत्व में जूना अखाड़े के साधु-संतों ने गंगा पूजन कर इस पंच कोसीय परिक्रमा की शुरुआत की l
ये पंचकोसी परिक्रमा पूरे पांच दिन चल कर प्रयागराज के सभी मुख्य तीर्थों का दर्शन पूजन करते हुए 24 जनवरी को संपन्न होगी l पंचकोसी परिक्रमा का समापन विशाल भंडारे के साथ होगा, जिसमें अखाड़े के सभी नागा संन्यासियों के साथ मण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर और आम श्रद्धालुओं का भंडारा होगा l
Prayagraj महाकुंभ मेले में करें पंचकोसी परिक्रमा, मिलेगा पुण्य और मोक्ष –
556 साल पहले अकबर ने लगा दी थी रोक – Mahakumbh Panchkoshi Parikrama
दिव्य और भव्य कुंभ की परम्परा में आयोजित प्रयागराज महाकुम्भ इस बार कई धार्मिक परम्पराओं की फिर से साक्षी बन रहा है. इस बार के कुंभ में प्रयागराज की उस पुरातन पंचकोसी परम्परा को भी आगे बढ़ाया गया, जो आज से 556 साल पहले इस कुम्भ का अटूट हिस्सा थी. कई वर्षों के बाद साधु-संतों और सरकार की कोशिशों से पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत 2019 में हुई. संगम तट पर साधु-संतों और मेला प्रशासन के अधिकारियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना के बाद पंचकोसी परिक्रमा शुरू की. आज से 556 साल पहले मुगल शासक अकबर द्वारा इस पर रोक लगा दी गई थी l
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क्यों होती है पंचकोसी परिक्रमा? – Mahakumbh Panchkoshi Parikrama
इस परिक्रमा की परम्परा के पीछे प्रयागराज का वह क्षेत्रीय विस्तार है, जिसके अनुसार प्रयाग मंडल पांच योजन और 20 कोस में विस्तृत है. गंगा, यमुना और सरस्वती के यहां छह तट हैं, जिन्हें मिलाकर तीन अन्तर्वेदियां बनाई गई हैं- अंतर्वेदी, मध्य वेदी और बहिर्वेदी. इन तीनों वेदियों में कई तीर्थ, उप तीर्थ और आश्रम हैं, जिनकी परिक्रमा को पंचकोसी परिक्रमा के अंदर शामिल किया गया है l
प्रयाग आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों को इसकी परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि इससे इनमें विराजमान सभी देवताओं, आश्रमों, मंदिरों, मठों और जलकुंडों के दर्शन से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है l इसलिए अगर आप महाकुंभ का महा पुण्य अर्जित करना चाहते हैं तो जब भी महाकुंभ आएं पंचकोसी परिक्रमा अवश्य करें l