MP News: बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल और हिंसा का असर अब भारतीय संतरे पर भी पड़ रहा है। हालांकि, इसकी शुरुआत तब हुई जब शेख हसीना बांग्लादेश की प्रधानमंत्री थीं और अब स्थिति यह है कि बांग्लादेश में एक किलो संतरे पर आयात शुल्क बढ़कर 92 रुपये हो गया है।
मध्य प्रदेश से संतरे बांग्लादेश नहीं भेजे जा रहे हैं। घरेलू बाजार में भी पर्याप्त मांग न होने से संतरा उत्पादकों को परेशानी हो रही है। उनका तो यहां तक कहना है कि बांग्लादेश सरकार लोगों से भारतीय फल न खाने को कह रही है। भारत के लोगों को भी आगे आकर विदेशी फल खाना बंद कर देना चाहिए।
दुनियाभर में नागपुरी संतरे के नाम से मशहूर करीब 40 फीसदी संतरे मध्य प्रदेश में पैदा होते हैं। देश के 99 फीसदी संतरे महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कुल 10 जिलों में पैदा होते हैं।
इसमें महाराष्ट्र के नागपुर, अमरावती, वर्धा, यवतमाल, कासिम और विदर्भ के अकोला उत्पादन क्षेत्र हैं, जबकि मध्य प्रदेश के पंधुरना, बैतूल, राजगढ़ और मंदसौर के कुछ हिस्से संतरा उत्पादन क्षेत्र हैं। पंधुरना जिले के संतरा उत्पादक अजय पाल कहते हैं कि यहां दो संतरे की फसल होती है, मृग बहार की फसल और अंबिया की फसल। इस सीजन में अंबिया की फसल है। पांच साल पहले सिर्फ 17 रुपये प्रति किलो था टैक्स अजय पाल कहते हैं कि 2019 में बांग्लादेश ने संतरे पर 17 रुपये प्रति किलो आयात कर लगाया था, 2020-21 में इसे बढ़ाकर 30 रुपये और अगले साल 65 रुपये कर दिया गया। पिछले साल बंपर टैक्स बढ़ाया गया था, इसलिए इस बार भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं थी, MP News लेकिन बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना का असर हो रहा है। इस बार हमारे एक किलो संतरे पर सीधे 92 रुपये का टैक्स लगाया गया है। वहां लोगों को एक किलो संतरा 150 रुपए किलो में मिलता है। ऐसे में क्या उद्यमी पैसा कमाएगा, लोग खाएंगे?
मैं जीवन भर संतरा उगाता रहा हूं, ऐसा समय कभी नहीं देखा
संतरे की पट्टी के सबसे बड़े उत्पादन केंद्र सौंसर में सड़क से लेकर पठारों की ऊंचाइयों तक हर तरफ संतरे के बगीचे नजर आते हैं। कुछ दूरी पर संतरे के बगीचे और उनके बीच कपास, यही इस क्षेत्र की खासियत है। यहां किसान घनश्याम बुले संतरे की टोकरियां ठेले पर लादते मिले और बातचीत शुरू होते ही नाराज हो गए। उन्होंने ऊंची आवाज में कहा- प्रभु, मैंने पूरी जिंदगी संतरे उगाने में बिता दी, लेकिन ऐसा समय कभी नहीं देखा।
2005 में जब मेरे पास संतरे के 300 पेड़ थे, तो मैंने तीन करोड़ रुपए के संतरे बेचे। 2011 में जब मेरे पास 350 पेड़ थे, तो मैंने छह करोड़ रुपए के संतरे बेचे। मुझे अच्छे दाम मिले, घर की हालत सुधर रही थी। मैंने बहुत मेहनत की, दिन-रात मेहनत की। अब मेरे पास 1100 पेड़ हैं। आज मैंने 25 लाख के संतरे बेचे हैं। जो थोड़े बहुत बचे हैं, उनसे भी ज्यादा मिलने की उम्मीद नहीं है।
घनश्याम कहते हैं कि कई बार उन्हें लगता है कि तोड़ने की लागत निकल पाएगी या नहीं, लेकिन हमने इतनी मेहनत से पौधे लगाए हैं, ऐसे में हम फलों को सड़ने और पेड़ पर गिरने कैसे दें, मैं खुद तोड़ने में लगा हूं, मेरा बेटा इंजीनियरिंग कर रहा था, उसे भी काम पर लगा दिया है। पूरा परिवार इन संतरे को पाने के लिए मेहनत कर रहा है, आपसे हाथ जोड़कर विनती है कि हमारी पीड़ा सरकार तक पहुंचाएं, नहीं तो संतरा किसान अपनी जान देने पर मजबूर हो जाएंगे…
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बांग्लादेश से निर्यात के ऑर्डर नहीं मिल रहे
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े संतरा उत्पादक क्षेत्रों में से एक पांढुर्ना में इस साल संतरे की अच्छी फसल होने के बावजूद किसान निराश हैं। वजह यह है कि उन्हें निर्यात के ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। बांग्लादेश संतरे का सबसे बड़ा आयातक है। अब बांग्लादेश ने संतरे के आयात पर टैक्स बढ़ा दिया है, जिससे संतरे की मांग कम हो गई है। निर्यात न होने से विदेशों से बेहतरीन क्वालिटी के जो दाम मिलने चाहिए थे, वे नहीं मिल रहे हैं। वहीं, घरेलू बाजार में पहले से ही माल भरा पड़ा है, यहां कीमतें बेवजह ऊंची नहीं रहतीं। ऐसे में मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण किसानों को मुनाफा नहीं हो पाता।
संतरा फ्रीज करने वाला बांग्लादेश गुठली को ड्यूटी फ्री में आयात करता है।
बांग्लादेश में व्यापार करने आए बड़े संतरा उत्पादक अजय कहते हैं कि बांग्लादेश सरकार को फलों के लिए एक डॉलर कीमत देनी चाहिए। इससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ता है, इसलिए बांग्लादेश नहीं चाहता कि संतरे आयात किए जाएं, लेकिन वही बांग्लादेश हमारे गुठली को ड्यूटी फ्री में आयात करता है, क्योंकि वहां की मिट्टी भुरभुरी है। अगर कोई इमारत बनानी है, तो 50 फीट गहरा गड्ढा खोदना पड़ता है। फिर छत डालनी पड़ती है और ढेर सारे पत्थरों का इस्तेमाल होता है।
बांग्लादेश में पत्थर नहीं मिलते। भारत से होने वाले ज्यादातर आयात ऐसी ही स्थिति में होते हैं। भारत सरकार चाहे तो पत्थरों के आयात पर थोड़ी सख्ती करे तो संतरे के आयात को रोकने जैसी छोटी-छोटी समस्याओं का समाधान इस तरह हो सकता है। कलेक्टर ने कहा- हम समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं। कलेक्टर अजय देव शर्मा ने कहा कि बांग्लादेश द्वारा आयात शुल्क बढ़ाए जाने से यहां से निर्यात कम हुआ है। संतरा उत्पादक किसानों को परेशानी हो रही है। हम समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।