MP NEWS :- सागर के शाहपुर में दीवार गिरने से जान गंवाने वाले पर्व विश्वकर्मा (10) ने 30 जुलाई को बर्थडे मनाया था। अपने दोस्त के जन्मदिन पर दिव्यांश साहू (10) और मयंक लोधी उर्फ वंश (10) खूब थिरके थे। 4 दिन बाद 4 अगस्त को जिन 9 बच्चों की हादसे में मौत हुई, उनमें ये तीनों भी थे।
बर्थडे सेलिब्रेशन का वीडियो इन बच्चों के परिवार के लिए आखिरी याद बन गया है। शाहपुर के लोग हादसा भुला नहीं पा रहे। जिसने भी यह मंजर देखा, ठीक से सो नहीं पा रहा। गलियों – सड़कों में जो बच्चे धूम मचाते थे, अब वो नहीं रहे…।
कई किस्से इमोशनल करने वाले हैं। एक पिता तो अपने इकलौते बेटे का आखिरी बार चेहरा नहीं देख पाया। वे पुणे में रहकर मजदूरी करते हैं। सोमवार को घर लौटे तो बेटा तो नहीं मिला, घर में मिलीं तो सिर्फ परिवार के लोगों की सिसकियां।
दिव्यांश साहू: दोस्त के बर्थडे पर डांस, 14 अगस्त को खुद का जन्मदिन था
दिव्यांश साहू का 14 अगस्त को जन्मदिन था। 30 जुलाई को पर्व के बर्थडे पर वह खूब थिरका था। अपनी प्लानिंग भी बता दी थी कि कैसे बर्थडे सेलिब्रेट करेगा। उसके बड़े पिता राजकुमार साहू ने बताया कि दिव्यांश 5th क्लास में था और पढ़ाई में तेज था। हम हर साल उसका जन्मदिन धूमधाम से मनाते थे। इस बार भी तैयारी थी।
पर्व विश्वकर्मा: 5 दिन पहले धूमधाम से मनाया जन्मदिन
पर्व विश्वकर्मा ने 30 जुलाई को 10वां जन्मदिन मनाया। परिवार ने पार्टी रखी थी। दोस्त दिव्यांश और वंश भी जन्मदिन में शामिल हुए थे। तीनों ने खूब डांस किया। एक मोहल्ले में रहने की वजह से तीनों अच्छे दोस्त थे। साथ स्कूल जाना और साथ में खेलते थे। मौत भी तीनों को साथ आई।
हेमंत जोशी: पापा से पूछा- मैं ठीक हो जाऊंगा क्या?
हेमंत जोशी के पिता भूरे जोशी ने बताया कि घटना के बाद बेटे को दमोह ले गए थे। रास्ते में कोबरा नदी पुल के ऊपर से बह रही थी। रास्ता बंद था। दूसरे मार्ग से बच्चे को दमोह लेकर पहुंचे। शाहपुर में इलाज की व्यवस्था होती, तो बेटा बच जाता। पूरे रास्ते में बेटा बोलता रहा कि पापा मैं ठीक हो जाऊंगा क्या? उसे कहा कि बेटा, तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। बचा लूंगा। पॉपकॉर्न खिलाऊंगा…। वह चौथी कक्षा में पढ़ता था। कुछ दिन पहले ही किताबें दिलाई थीं।
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देवराज साहू: आर्मी में जाने का सपना था
देवराज साहू की चार बहनें हैं। वह पढ़ाई में तेज था। हादसे के बाद घर में माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। बड़ी बहन विनीता साहू ने बताया कि देवराज पढ़ाई-लिखाई में अच्छा था। वह मां को बोलकर गया था कि कुछ देर में आ रहा हूं। लेकिन, वह वापस घर नहीं लौटा। भाई आर्मी में जाना चाहता था। अक्सर बोलता था कि मैं आर्मी जवान बनूंगा। कुछ दिन बाद रक्षाबंधन की तैयारी शुरू करने वाले थे, लेकिन अब मेरा भाई ही नहीं रहा।
नीतेश पटेल: पिता नहीं देख सके आखिरी बार चेहरा
नीतेश पटेल के पिता कमलेश पटेल पुणे में रहकर मजदूरी करते हैं। वह पुणे में थे। सोमवार को शाहपुर लौटे हैं। अपने इकलौते बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाए। उन्होंने बताया कि बेटा नीतेश मेरे साथ पुणे में ही था। 12 जुलाई को उसे घर भेजा था। रविवार सुबह ही बेटे से बात हुई थी। कुछ समय बाद परिवार के लोगों ने बताया कि दीवार गिरने से नीतेश नहीं रहा। यह सुनकर मैं सदमे में आ गया। छोटे भाई को बुलाया और उसके साथ गांव आया हूं। मुझे नहीं पता था कि बेटे की अस्थियां लेकर जाना पड़ेगा। आखिरी बार बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाया हूं।
प्रिंस साहू: पिता नहीं हैं, मां मजदूरी करती हैं
प्रिंस साहू के पिता नहीं हैं। उनका करीब 5 साल पहले निधन हो गया था। इसके बाद से प्रिंस की मां मजदूरी कर बच्चों को पढ़ा रही थीं। प्रिंस इकलौता बेटा था। आर्थिक रूप से कमजोर और पिता की मौत होने के बाद से मां कभी बीड़ी बनाकर तो कभी पॉपकॉर्न बेचकर परिवार का भरण-पोषण कर रही थीं। मां का हादसे ने सहारा ही छीन लिया। चाचा महेंद्र ने बताया कि प्रिंस अपनी मां का लाडला था।
आशुतोष प्रजापति: पिता बोले- इकलौता बेटा चला गया
आशुतोष प्रजापति के पिता मानसिंह प्रजापति बेटे को याद कर बार-बार रो देते हैं। खुद को संभालते हुए उन्होंने बताया कि दीवार गिरने से मेरा इकलौता बेटा चला गया। दीवार की पहले भी ईंटें गिरी थीं, लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया।
पूरी घटना में कथा आयोजनकर्ता और मकान मालिक की गलती है। अस्पताल में इलाज की सुविधा नहीं थी। मुझे पैर में चोट लगी थी। इलाज कराने गया तो इलाज नहीं मिला था। ऐसे ही घटना के बाद बच्चों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज नहीं मिला। प्रशासन की लापरवाही है।
मयंक यादव उर्फ ध्रुव और मयंक लोधी: टीचर बोलीं- पढ़ने में होशियार थे
मयंक यादव और मयंक लोधी एक ही स्कूल में पढ़ते थे। प्राचार्य नीलम जैन ने कहा कि ध्रुव पढ़ाई में अच्छा था। कुछ समय पहले वह कुएं में गिर गया था। वह कुछ दिन स्कूल नहीं आया। स्वस्थ होकर वह स्कूल आया, तो बोला कि मैडम अब मैं रोज स्कूल आऊंगा और अच्छे नंबर लाऊंगा।
मयंक लोधी भी पढ़ने में अच्छा था। कहता था कि स्कूल में अनुपस्थित नहीं रहूंगा। इस बार 95% नंबर लेकर आऊंगा। स्कूल में बात करते हुए बच्चे बोलते थे कि उन्हें सरकारी नौकरी करना है और अधिकारी बनना है।
दीवार एकदम से गिरी…और भैया नहीं मिल रहा था
दिव्यांश साहू के साथ घटना के समय छोटी बहन जया साहू भी थी। बहन जया ने बताया, ‘हम भैया के साथ शिवलिंग बनाने गए थे। मैं गली में गई थी, तभी दीवार एकदम से गिर गई। भैया दिव्यांश मिल नहीं रहा था। मैं दौड़कर घर आई और पापा को बताया कि दीवार गिर गई है। भैया नहीं मिल रहा है।’
दिव्यांश और छोटी बहन हमेशा साथ रहते थे। दोनों साथ स्कूल जाते थे। पार्थिव शिवलिंग बनाने भी भाई-बहन साथ गए थे। जया मिट्टी उठाने गई। इसी दौरान दीवार गिर गई।
मंदिर की जमीन पर लोगों ने कर लिया कब्जा
नगर के गोविंद पटेल ने बताया कि हरदौल मंदिर परिसर की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। कुछ ने पक्के निर्माण कर लिए तो कुछ कब्जा किए हुए हैं। मंदिर परिसर में यदि जगह ज्यादा होती तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
पहले मंदिर की जमीन करीब 40-50 डिसमिल थी। वर्तमान में 5 से 10 डिसमिल जगह बची है। इस कारण परिसर में धार्मिक आयोजन होने पर जगह कम रहती है। प्रशासन को मंदिर की जमीन की जांच कराकर खाली कराना चाहिए, ताकि आगे ऐसी कोई घटना न हो सके।
हादसे के 4 गुनहगार… ये लापरवाही न करते तो जिंदा होते मासूम
1). मुलू कुशवाहा, मकान मालिक
- लापरवाही: जर्जर मकान गिरने के डर से अपना परिवार शिफ्ट कर म्यारी को लकड़ी से साधा था।
- केस: गैर इरादतन हत्या
2. शिव और संजू पटेल, आयोजक, शिवलिंग निर्माण
- लापरवाही: बारिश के बीच मकान की दीवार से सटकर शिवलिंग निर्माण का अनुष्ठान कराया।
- केस: गैर इरादतन हत्या
3). धनंजय गुमास्ता, सीएमओ, नप, शाहपुर
- लापरवाही: बारिश पूर्व शाहपुर नगर के जर्जर मकानों का न तो सर्वे कराया, न नोटिस दिया।
- कार्रवाई: निलंबित
4). वीर विक्रम सिंह, उपयंत्री, नप, शाहपुर
- लापरवाही: मकान मालिकों को नोटिस देकर जर्जर मकानों को गिराने की जिम्मेदारी इन्हीं की।
- कार्रवाई: निलंबित