राधा रानी पर विवादित बयान सामने आने के 20 दिन बाद आखिरकार पंडित प्रदीप मिश्रा ने बरसाना पहुंचकर माफी मांग ली.. वो भी नाक रगड़कर। 29 जून शनिवार को पंडित मिश्रा का बरसाना पहुंचने का पहले से कोई कार्यक्रम तय नहीं था।
वे 28 जून की रात को अचानक दिल्ली रवाना हुए। 29 जून सुबह दिल्ली पहुंचे। यहां उनकी ब्रज धाम के कुछ संतों से चर्चा हुई। इसके बाद वे सीधे 11 बजे बरसाना में राधा रानी के मंदिर में पहुंचे।
दरअसल, गोवर्धन के संतों ने मिश्रा से कहा था कि ब्रज में उनके खिलाफ बेहद गुस्सा है। माफी मांगना ही इसका समाधान है। इसके बाद पंडित मिश्रा ने तय किया कि वे बरसाना जाएंगे।
उनके बरसाना पहुंचने से पहले राधा रानी के मंदिर में भारी फोर्स तैनात कर दिया गया। कड़ी सुरक्षा के बीच पंडित मिश्रा राधा रानी के मंदिर पहुंचे।
उधर, ब्रज के संतों को भी सरकार की तरफ से सुबह 11 बजे इशारा मिला कि पंडित मिश्रा बरसाना पहुंचकर माफी मांगेंगे। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रहे। इसके बाद मंदिर परिसर में पुलिस फोर्स भी पहुंचना शुरू हो गई थी।
उस वक्त तक किसी को अंदाजा नहीं था, कि आज सुरक्षा क्यों बढ़ाई जा रही है? इसके एक घंटे बाद सड़क मार्ग से पंडित मिश्रा बरसाना पहुंचे। वे सीधे यहां बरसाना में राधा रानी के मंदिर पहुंचे।
पंडित मिश्रा बोले- लाड़ली जी ने खुद ही इशारा कर मुझे बुलाया
राधा रानी के चरणों में दंडवत प्रणाम करने के बाद उन्होंने कहा मैं राधा-रानी के दर्शन करने के लिए यहां पधारा हूं। लाडली जी ने खुद ही इशारा कर मुझे यहां बुलाया, इसलिए मुझे यहां आना पड़ा।मेरी वाणी से किसी को ठेस पहुंची है, तो उसके लिए माफी मांगता हूं।
25 जून को माफी मांगने वाले थे, तय हुआ कि बरसाना जाकर माफी मांगेंगे
इससे पहले 25 जून को सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में पंडित मिश्रा ने मीडिया से बातचीत की थी। मीडिया कर्मियों को कुबेरेश्वर धाम के सेवकों ने बताया था कि राधा रानी पर दिए बयान पर पंडित मिश्रा खेद प्रकट करना चाहते हैं।
शाम 5 बजे जब पंडित मिश्रा पत्रकारों के सामने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि वे सिर्फ कांवड़ यात्रा और गुरु पूर्णिमा के आयोजन के संबंध में जानकारी देंगे। इसके अलावा किसी विषय पर बात नहीं करेंगे।
दरअसल, कुबेरेश्वर धाम में उस दिन ब्रज धाम के कुछ संत पहुंचे थे। पत्रकार वार्ता से पहले पंडित मिश्रा की उनसे बात हुई थी। इसलिए, पंडित मिश्रा ने मीडिया के सामने कांवड़ यात्रा का जिक्र किया।
कुबेरेश्वर धाम के सेवकों ने भास्कर को बताया कि 25 जून को ब्रज से आए संतों के सामने पंडित मिश्रा ने कहा था कि उनका बयान पुराना है। जिसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया। मगर, वे राधा रानी के भक्तों को नाराज नहीं करना चाहते।
तब संतों ने कहा था कि केवल माफी मांगना ही इस विवाद का हल है। सेवकों के मुताबिक इस मुलाकात के बाद अगले दिन यानी 26 जून को कुबेरेश्वर धाम में स्वास्थ कैंप लगा था। 28 जून की रात पंडित मिश्रा दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। सूत्रों का कहना है कि सत्ता से जुड़े लोगों की ओर से भी पंडित मिश्रा को ये इशारा मिला कि वे जल्द से जल्द इस विवाद को खत्म करें।
24 जून को ब्रजधाम में हुई महापंचायत ने दिया था अल्टीमेटम
24 जून को बरसाना के पद्मश्री रमेश बाबा के गहवर वन क्षेत्र स्थित मान मंदिर में साधु-संत, धर्माचार्य और ब्रज के लोगों की महापंचायत हुई। इसमें आए लोगों ने कहा- प्रदीप मिश्रा ने खुद में बदलाव नहीं किया, तो ब्रज में पैर रखते ही उनका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा। वो राधा रानी के चरणों में आकर नाक रगड़ें और माफी मांगें।
महापंचायत में 7 संगठनों के लोग शामिल हुए। ब्रज के धर्माचार्यों ने प्रदीप मिश्रा को शास्त्रार्थ करने की खुली चुनौती दी। पंडित प्रदीप मिश्रा को बुलाया गया था, लेकिन वह नहीं आए।
महापंचायत में शामिल पद्मश्री रमेश बाबा ने कहा- राधा रानी श्रीकृष्ण की आत्मा हैं। महापंचायत में जो निर्णय लिया जाएगा, वही सर्वमान्य होगा। हम भी वही मानेंगे। उनके प्रतिनिधि राधाकांत शास्त्री ने कहा- हमारे फॉलोअर्स पूरी दुनिया में हैं। अगर प्रदीप मिश्रा ने माफी नहीं मांगी, तो उन्हें बता दिया जाएगा कि वो कितने सामान्य प्राणी हैं।
प्रदीप मिश्रा ने बहुत खराब टिप्पणी की है। साधु-संतों और भक्तों का अपमान किया है। उन्हें नहीं छोड़ा जाएगा। धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष सौरभ गौड़ ने कहा- प्रदीप मिश्रा ने अहम में आकर जो अमर्यादित टिप्पणी की थी। उसे लेकर माफ नहीं करेंगे। उसे 7 दिन का समय दिया था, लेकिन उन्होंने उल्टा ब्रजवासियों को धेनु का सुर कहा। तुलसीदास जी को लेकर बयान दिया।
प्रदीप मिश्रा के किस बयान पर छिड़ा था विवाद
पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने प्रवचन में कहा था- राधा के पति का नाम अनय घोष, उनकी सास का नाम जटिला और ननद का नाम कुटिला था। राधा जी का विवाह छाता में हुआ था। राधा जी बरसाना की नहीं, रावल की रहने वाली थीं। बरसाना में तो राधा जी के पिता की कचहरी थी, जहां वह सालभर में एक बार आती थीं।
प्रेमानंद जी का प्रदीप मिश्रा को जवाब- तुझे शर्म आनी चाहिए
प्रेमानंद जी महाराज ने 10 जून को प्रदीप मिश्रा को जवाब दिया। कहा- लाडली जी के बारे में तुम्हें पता ही क्या है? तुम जानते ही क्या हो? अगर तुम किसी संत के चरण रज का पान करके बात करते तो तुम्हारे मुख से कभी ऐसी वाणी नहीं निकलती।
जैसा वेद कहते हैं, राधा और श्रीकृष्ण अलग नहीं हैं। तुझे तो शर्म आनी चाहिए। जिसके यश का गान करके जीता है, जिसका यश खाता है, जिसका यश गाकर तुझे नमस्कार और प्रणाम मिलता है, उसकी मर्यादा को तू नहीं जानता।