PM आवास के लिए मिली राशि से बना ली दुकानें
PM Awas Yojana /आमला :- हर गरीब और जरुरतमंद के पास स्वयं का पक्का मकान हो, इसी मंशा से सरकार ने वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना शुरू की थी। इस काम में किसी तरह की गड़बड़ी न हो तथा पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। यही नहीं इसके बाद भी किसी अपात्र को इसका लाभ न मिल जाए इसके लिए अलग से व्यवस्था की गई है। लेकिन सरकार की इस मंशा को अधिकारियों की लापरवाही ने पलीता लगा दिया। प्रधानमंत्री आवास योजना का कई लोगों ने दुरुपयोग कर जारी हुए पैसे का कॉमर्शियल प्रयोग कर दुकानें बना ली। सबसे खासबात यह है कि इसके बाद भी जियो टैंकिंग हो गई, जो सीधे-सीधे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। दरअसल नगरपालिका आमला अंतर्गत 18 वार्डो में 600 बन चुके है। कई मकानों का काम चल भी रहा है, लेकिन इनमें से कई लोगों ने मकान की राशि लेकर दुकानों का निर्माण कर लिया, जो नियमों के विरूद्ध बताया जा रहा है। इधर कुछ ऐसे भी हितग्राही है, जो अभी भी टूटी-फूटी झोपडिय़ों में निवास कर रहे है और उन्हें पीएम आवास योजना के लाभ का इंतजार है, लेकिन ऐसे हितग्राही अभी भी लाभ से वंचित है।
आरोप: ऑफिसों में बैठकर मॉनीटरिंग …
पीएम आवास की राशि का कमर्शियल उपयोग कर दुकान बनाने के मामले में लोगों ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किये है। लोगों का आरोप है कि अधिकारियों से सांठगांठ के चलते अधिकारी मौका मुआयना नहीं करते है। सहीं और नियमित मॉनीटरिंग नहीं होने का फायदा उठाकर लोगों ने मकान की जगह दुकाने बना ली और अब इन दुकानों में व्यवसाय कर रहे है। कई आवेदक ऐसे हैं, जिन्होंने योजना का लाभ लेने के बाद मकान के बाहर से प्रधानमंत्री आवास योजना लिखा ही मिटा दिया, लेकिन अधिकारियों ने फिजिकल वेरिफिकेशन तक नहीं किया। ऐसे आवेदकों के खिलाफ कार्रवाही तक अधिकारियों ने प्रस्तावित नहीं की। जिससे लोग अब पीएम आवास का लाभ लेकर दुकानों का निर्माण करने से भी पीछे नहीं हट रहे है।
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कई अपात्रों को मिल गया आवास का लाभ …
फिजिकल वेरिफिकेशन नहीं होने से कई अपात्रों ने भी पीएम आवास का लाभ ले रखा है। लोगों का आरोप है कि कई आवेदक ऐसे हैं, जिन्हें पीएमएवाई की पूरी राशि जारी होने के बावजूद आधा मकान कच्चा छोड़ है। मकान के लिए मिली राशि का कॉमर्शियल प्रयोग किया है। गौरतबल रहे कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कच्चे मकान वालों को ढाई लाख की राशि मिलती है। नींव डलने के बाद जियो टैगिंग टीम मौके पर पहुंच ऑनलाइन जियो टैगिंग कर मकान की फोटो खींचती है। इसके बाद एक लाख रुपए की पहली किस्त नप की ओर से आवेदक के खाते में डाली जाती है। एक लाख की दूसरी किस्त मकान का लेंटर डलने के बाद फिर से फोटो व जियो टैगिंग के बाद मिलती है। जबकि अंतिम किस्त के तौर पर 50 हजार रुपए मकान कंप्लीट होने के बाद जारी होती है।